धर्म-अध्यात्म

चातुर्मास में क्यों वर्जित है लहसुन-प्याज का प्रयोग

Manish Sahu
25 Aug 2023 4:26 PM GMT
चातुर्मास में क्यों वर्जित है लहसुन-प्याज का प्रयोग
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धर्म अध्यात्म: हिंदू कैलेंडर में चातुर्मास का काफी महत्व है. यह चातुर्मास देवशयनी एकादशी से शुरू होता है और देवउठनी एकादशी पर खत्म होता है. इस दौरान कुछ कार्य वर्जित होते हैं. इनमें शुभ और मांगलिक कार्य भी शामिल है. इस बार अधिक मास होने की वजह चातुर्मास चार की जगह पांच महीने का है.
हिंदू धर्म में सावन, भादप्रद, आश्विन और कार्तिक महीनों का बेहद महत्व हैं. इन चारों महीनों को मिलाकर चातुर्मास का योग बनता है. इस बार सावन दो महीने का होने की वजह से यह पांच महीने का हो गया है. इस दौरान शुभ कार्यों के अलावा प्याज और लहसून खाने पर पाबंदी रहती है. इसके पीछे भी बड़ा धार्मिक महत्व है.
समुद्र मंथन से जुड़ा है रहस्य
अयोध्या के प्रकांड विद्वान पवन दास शास्त्री बताते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश को हासिल करने के लिए देवताओं और दानवों में विवाद हो गया था, तो भगवान विष्णु ने मोहिनी का रुप धारण कर अमृत बांटने लगे. सबसे पहले देवताओं को अमृत पान कराया गया. देवताओं की पंक्ति में देवता का रूप धारण कर एक राक्षस आ गया था. सूर्यदेव और चंद्रदेव इस दानव को पहचान गए थे. उन्होंने भगवान विष्णु को इसकी सच्चाई बताई, जिन्होंने अपने चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया
क्या है प्याज और लहसून की उत्पति का राज ?
पवन दास शास्त्री बताते हैं कि जमीन पर गिरने से पहले राक्षस के मुख से अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गई थी. ऐसा माना जाता है कि राक्षस के सिर कटने से खून और अमृत की बूंदों से प्याज और लहसून की उत्पति हुई है. भगवान विष्णु ने जिस राक्षस का खात्मा किया था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाता है. प्याज और लहसून को राक्षस के अंश से निर्मित माना जाता है. इस वजह से धार्मिक कार्यों में उनका प्रयोग नहीं होता है.
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