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- माथे पर क्यों लगाते...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन परंपरा में देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग किए जाने वाले तिलक का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है. ईश्वर की पूजा का अभिन्न अंग माना जाने वाला तिलक, अलग-अलग देवताओं के लिए अलग-अलग प्रकार का प्रयोग में लाया जाता है. जैसे भगवान शिव के लिए भस्म से बना तिलक तो वहीं भगवान विष्णु के लिए पीले चंदन का तिलक प्रयोग में लाया जाता है. देवी-देवताओं के श्रृंगार के लिए प्रयोग में लाया जाने वाले तिलक को ईश्वर का महाप्रसाद भी माना गया है. आइए पूजा में प्रयोग लाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के तिलक का धार्मिक महत्व और उससे जुड़े अचूक उपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं.
तिलक लगाने का नियम
ईश्वर का आशीर्वाद माने जाने वाले पवित्र तिलक को हमेशा स्नान-ध्यान करने के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके दोनों भौहों यानि आज्ञा चक्र पर लगाना चाहिए. ईश्वर को जहां तिलक अनामिका अंगुली से तो वहीं स्वयं को मध्यमा या अंगूठे से लगाना चाहिए.
पूजा में तिलक लगाने के लाभ
ईश्वर की पूजा में तिलक को ईश्वर का प्रसाद माना गया है, जिसे मस्तक पर लगाने पर न सिर्फ ईश्वरीय कृपा बनी रहती है, बल्कि उसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति का मन शांत बना रहता है. आज्ञा चक्र पर लगा तिलक न सिर्फ आपके मन को शांत रखता है बल्कि आपको सकारात्मक ऊर्जा भी प्रदान करता है. यही कारण है कि हिंदू धर्म से जुड़े शैव, वैष्णव और शाक्त परंंपरा से जुड़े सभी व्यक्ति पूजा के दौरान इसे बड़ी आस्था और विश्वास के साथ धारण करते हैं. पूजा में प्रयोग लाया जाने वाला तिलक को न सिर्फ माथे पर बल्कि सिर, गले, दोनों बाजू, हृदयस्थल, नाभि, पीठ, आदि पर भी लगाया जाता है.