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- बरगद के पेड़ की पूजा...
हिंदू धर्म में बरगद यानी वटवृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है. मान्यता के अनुसार, बरगद के पेड़ में भगवान ब्रह्मा जी, श्रीहरि और शिव निवास करते हैं. बरगद के पेड़ों की उम्र सबसे ज्यादा होती है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहा जाता है. देव वृक्ष होने के कारण बरगद के पेड़ की पूजा का भी विशेष स्थान होता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, अखंड सौभाग्य, आरोग्य और सुख-समृद्धि के लिए वटवृक्ष की पूजा की जाती है. आइये जानते हैं बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व क्या है.
भगवान शिव ने की थी तपस्या
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने भी वटवृक्ष के नीचे ही समाधि लगाकर तपस्या की थी. मार्कण्डेय को भगवान श्रीकृष्ण ने वटवृक्ष के पत्ते पर दर्शन दिए थे. देवी सावित्री भी अक्षयवट में निवास करती हैं.
मान्यता है कि देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के लिए वटवृक्ष के नीचे बैठकर यमराज से उनके प्राण की रक्षा की थी. इसलिए इसे वट सावित्री भी कहते हैं. बरगद के पेड़ में देवताओं का वास होने से इसकी पूजा करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है.
बरगद के पेड़ के लाभ
शास्त्रों में भी बरगद के पेड़ के अनेक उपाय बताए गए हैं. बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाने से व्यापार में लाभ होता है. अगर कोई लंबे समय तक बीमार रहता है तो उसके तकिए के नीचे बरगद की जड़ रखने से लाभ मिलता है. बरगद के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा करने से मानसिक तनाव से राहत मिलती है. घर में मंदिर के पास बरगद के पेड़ की टहनी रखने से परिवार में सकारात्मक माहौल बना रहता है. बरगद के पेड़ को औषधी के रूप में भी काम में लिया जाता है, जिससे कई तरह के रोगों में लाभ होता है.