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रविवार के दिन उपवास रखने से स्वास्थ्य और तेजस्विता की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित है। अन्य दिनों की तरह रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। रविवार के दिन को हिंदू धर्म में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। आइए जानते हैं कि रविवार व्रत कितने दिन करना चाहिए और क्या इसकी पूजन विधि।
रविवार का दिन सूर्यदेव का होता है। भगवान सूर्य को रवि, भास्कर इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति तेजस्वी होता है और उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फैलती है। रवि यानी सूर्यदेव व्यक्ति के जीवन में प्रकाश लेकर आते हैं। हाथ में सूर्य रेखा स्पष्ट और मजबूत होने से व्यक्ति अपने जीवन में बहुत प्रसिद्ध और मान-सम्मान प्राप्त करता है।
सूर्य से हमें प्रकाश के साथ-साथ गर्मी और ऊर्जा भी प्राप्त होता है। इस धरती पर जीवन के लिए सूर्य का प्रकाश का होना अति आवश्यक है। धरती पर मौजूद सभी प्राणियों और जीव-जन्तु को सूर्य के प्रकाश की जरूरत होती है। इसके अलावा सूर्य से हमें विटामिन डी भी मिलता है।
रविवार व्रत कितनी बार करना चाहिए
माना जाता है कि रविवार का व्रत एक साल में कम से कम 30 रविवार या 12 रविवार तक रखना चाहिए। व्रत के दिन भोजन एक समय ही करना चाहिए। भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जो लोग चावल में दूध और गुड़ मिलाकर सेवन करते हैं उनके जीवन में सूर्य के बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।
क्यों रखना चाहिए रविवार का व्रत
रविवार के दिन उपवास रखने से स्वास्थ्य और तेजस्विता की प्राप्ति होती है। अगर इस दिन व्रतकथा सुनी जाए तो व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण होती है। मान-सम्मान, धन-यश और उत्तम स्वास्थ्य भी रविवार का व्रत करने से प्राप्त होती है। अगर किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो तो उन्हें रविवार के दिन व्रत अवश्य करना चाहिए।
रविवार व्रत के बाद भोजन कब करें
रविवार व्रत के दौरान सुबह लाल रंग का कपड़ा पहनकर सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को जल, चंदन, अक्षत, लाल पुष्प और दुर्वा से अर्ध्य देकर पूजा करनी चाहिए। सूर्यास्त के बाद भोजना करना चाहिए। भोजन में आप रोटी, दलिया, दूध, दही और घीर का सेवन कर सकते हैं।
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Apurva Srivastav
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