धर्म-अध्यात्म

शनि देव को क्यों पसंद है काला रंग और काली वस्तुएं...जाने इसके पीछे का इतिहास

Subhi
26 Jun 2021 2:43 AM GMT
शनि देव को क्यों पसंद है काला रंग और काली वस्तुएं...जाने इसके पीछे का इतिहास
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शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काला कपड़ा, काला तिल, काले चने, काली उड़द या लोहे का समान चढ़ाया जाता है।

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काला कपड़ा, काला तिल, काले चने, काली उड़द या लोहे का समान चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शनि देव को काली वस्तुएं ही पसंद हैं ,इसलिए उनकी पूजा में विशेषतौर पर काली वस्तुओं का ही प्रयोग होता है या काली वस्तुओं का ही दान किया जाता है, जबकि शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र हैं, जो स्वयं श्वेत रूप हैं और सारे संसार को प्रकाशित करते हैं परन्तु उनके पुत्र शनि देव को काली वस्तुएं ही प्रिय हैं। दरअसल इसका एक कारण स्वयं सूर्य देव भी हैं। आइए जानते हैं उस पौराणिक कथा के बारे में, जो बताती है कि क्यों शनि देव को काली वस्तुएं पसंद हैं।

शनिदेव के जन्म की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव का विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री संध्या से हुआ था, जिनसे उन्हें मनु, यमराज तथा यमुना नामक संतानें प्राप्त हुईं परंतु देवी संध्या सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाती थीं, इसलिए उन्होनें अपनी जगह अपनी प्रतिरूप छाया को रख दिया और स्वयं पिता के घर चली गईं। देवी छाया रूप और गुण में संध्या का प्रतिरूप थीं, जिस कारण सूर्य देव को इस बात का पता नहीं चला परंतु शनि देव के जन्म के समय छाया देवी भगवान शिव का कठोर तप कर रही थीं, जिस कारण अपनी गर्भावस्था का भी सही से ध्यान नहीं रख पा रही थीं। इसी कारण शनि देव जन्म के समय ही अत्यंत काले तथा कुपोषित पैदा हुए। काला पुत्र होने के कारण सूर्य देव ने उन्हें अपनी संतान मानने से इंकार कर दिया परंतु ये बात शनि देव को बहुत बुरी लगी।
सूर्य देव का पश्चाताप
मां के गर्भ में ही शनि देव को भगवान शिव की शक्ति प्राप्त हो गयी थी, अतः उनके क्रोध से देखने पर सूर्य देव स्वयं भी काले पड़ गए तथा उन्हें कुष्ठ रोग हो गया। सूर्य देव ने भगवान शिव से क्षमा याचना की और अपनी गलती स्वीकार की तथा शनि देव को सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली होने का वरदान दिया। अपने स्वयं के काले रंग का होने के कारण और काले रंग की उपेक्षा के कारण शनि देव को काला रंग अत्यंत प्रिय है। उनके पूजन में काली वस्तुओं जैसे काले तिल, काला चना तथा लोहे का ही प्रयोग होता है।


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