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धर्म-अध्यात्म
रमजान के पाक माह में ही क्यों रखा जाता है रोजा, जानें कब हुई इसकी शुरुआत
Tara Tandi
14 April 2021 10:16 AM GMT
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इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान (Ramzan) का होता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना रमजान (Ramzan) का होता है. रमजान को रमदान भी कहा जाता है. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए ये सबसे पाक महीना होता है. रमदान के पहले रोजे की तारीक चांद दिखने के बाद तय की जाती है. इस बार 13 अप्रैल को रमदान का चांद देखा गया था और 14 अप्रैल को पहला रोजा रखा जा रहा है. चांद दिखने के हिसाब से रमजान का महीना कभी 29 तो कभी 30 दिन का होता है. आइए जानते हैं कब शुरू हुई रोजे रखने की परंपरा.
इस्लाम धर्म के अनुसार, रोजे रखने की परंपरा बहुत पुरानी है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, 610 ईसवी में जब इम्लामिक पैगंबर को पवित्र किताब कुरान का ज्ञान हुआ तभी से दुनियाभर के मुस्लमान कुरान उतारने की याद मेंं रोजा रखते हैं. इसके बाद से रमजान के महीने को पवित्र महीना माना गया है.
इस पूरे महीने इस्लाम धर्म के लोग सूर्योदय के साथ रोजे की शुरुआत करते हैं और सूर्यास्त की नमाज के साथ रोजा खोलते हैं. इसके अलावा इस महीने को इसलिए भी पाक माना जाता है क्योंकि इस महीने में पैंगबर साहब को अल्लाह ने अपने दूत के रूप में चुना था. इसलिए इस महीने में रोजे रखना अनिवार्य माना गया है.
कैसे रखते हैं रोजा
मुस्लमान समुदाय के लोग सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक कुछ भी खाते- पीते नहीं हैं. सूरज निकलने से पहले सहरी की जाती है, इसका मतलब है कि सुबह की अजान से पहले सहरी खा सकते हैं. सहरी के बाद सूर्यास्त तक कुछ नहीं खाते-पीते हैं. शाम को नमाज पढ़ने के बाद इफ्तार करते हैं. इस दौरान लोगों को अल्लाह की इबादत करनी होती है और अपने काम करने होते हैं.
रोजे के दौरान अपने मुंह पर कंट्रोल रखना होता है. इस दौरान किसी को भी तकलीफ देने वाला काम नहीं करना होता है. रोजे के दौरान शारीरिक संबंध बनाने की मनाही है. अगर ऐसा हो जाता है तो सहरी से पहले पाक होना जरूरी है.
किन लोगों को रोजा रखने की छूट
रमजान के पाक महीने में रोजे रखने की छूट बीमार और किसी यात्रा पर गए व्यक्ति को दी गई है. इसके अलावा गर्भवती महिलाएं, पीरियड्स होने पर और बच्चों को भी छूट दी गई है. अगर कोई बीमार व्यक्ति रोजा रखता है तो ब्लड टेस्ट या इंजेक्शन ले सकता हैं.
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