धर्म-अध्यात्म

जगन्नाथ मंदिर में हर साल क्यों निकाली जाती है रथयात्रा, जानें

Subhi
1 July 2022 2:45 AM GMT
जगन्नाथ मंदिर में हर साल क्यों निकाली जाती है रथयात्रा, जानें
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रथ यात्रा का आरंभ 01 जुलाई से और समापन 12 जुलाई को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं।

रथ यात्रा का आरंभ 01 जुलाई से और समापन 12 जुलाई को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। ओडिशा के पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर साल धूमधाम के साथ रथयात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ मंदिर से तीन सजेधजे रथ रवाना होते हैं। इनमें सबसे आगे बलराज जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथ प्रभु का रथ होता है।

क्यों निकाली जाती है रथयात्रा

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन ने एक बार नगर देखने की इच्छा जाहिर की थी। तब जगन्नाथ जी और बलभद्र अपनी बहन सुभद्रा को रथ पर बैठाकर नगर दिखाने निकल पड़े। इस दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और सात दिन ठहरे। तभी से यहां पर रथयात्रा निकालने की परंपरा है।

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रथ यात्रा 2022 शेड्यूल-

01 जुलाई 2022 (शुक्रवार)- रथ यात्रा प्रारंभ

05 जुलाई (मंगलवार)- हेरा पंचमी (पहले पांच दिन गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं)

08 जुलाई (शुक्रवार)- संध्या दर्शन (मान्यता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल श्रीहरि की पूजा के समान पुण्य मिलता है)

09 जुलाई (शनिवार)- बहुदा यात्रा (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व बहन सुभद्रा की घर वापसी)

10 जुलाई (रविवार)- सुनाबेसा (जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप लेते हैं)

11 जुलाई (सोमवार)- आधर पना (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर दिव्य रथों पर एक विशेष पेय अर्पित किया जाता है। इसे पना कहते हैं।)

12 जुलाई (मंगलवार)- नीलाद्री बीजे ( नीलाद्री बीजे जगन्नाथ यात्रा का सबसे दिलचस्प अनुष्ठान है।)


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