धर्म-अध्यात्म

रक्षाबंधन पर भद्रा के समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी, जाने भद्रा और राहुकाल का समय

Shiddhant Shriwas
22 Aug 2021 2:16 AM GMT
रक्षाबंधन पर भद्रा के समय क्यों नहीं बांधी जाती राखी, जाने भद्रा और राहुकाल का समय
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22 अगस्त 2021 को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 22 अगस्त 2021 को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि पर यह पर्व मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के आपसी प्रेम का त्योहार है। रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधती हैं। रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के समय भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। इसलिए रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। मान्यता है कि भद्राकाल में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने पर उसमें सफलता नहीं मिलती।

22 अगस्त को भद्राकाल- पूरे दिन भद्रा नहीं रहेगी

इस बार रक्षाबंधन में अति अशुभ कही जाने वाली शनिदेव की बहन भद्रा दिनभर नहीं रहेगी इसलिए शाम 04 बजकर 30 मिनट पर राहुकाल के आरम्भ होने से पहले पूरेदिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा, इसमें भी दोपहर 12 बजे से 01 बजे का मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा। अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। इस दिन चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इस बार भद्राकाल का भय भी नहीं रहेगा और ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए परम कल्याणकारी रहेगा।

क्या होती है भद्राकाल- पौराणिक कथा

जब भी रक्षाबंधन का पर्व आता है तो इस दिन भद्राकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है। इसके अलावा भद्राकाल में भगवान शिव तांडव नृत्य करते हैं इस कारण से भी भद्रा में शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। भद्रा शनिदेव की तरह उग्र स्वभाव की हैं। भद्रा को ब्रह्रााजी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में करने का विधान है। भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।

22 अगस्त 2021 को राहुकाल

राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए भद्रा के साथ राहुकाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। 22 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन राहुकाल का समय शाम 05 बजकर 12 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।

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