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स्नान नित्य क्रिया में आता हैं और बिना स्नान के कोई भी मनुष्य साफ सुथरा या फिर शुद्ध नहीं माना जाता हैं ऐसे में ईश्वर पूजा व अन्य कार्यों से पहले स्नान करना जरूरी माना गया हैं शास्त्रों में स्नान को लेकर कई बातें बताई गई हैं वही पद्म पुराण और गरुड़ पुराण निर्वस्त्र स्नान को निषेध बताया गया हैं ऐसा क्यों कहा गया है और इसके पीछे का कारण क्या हैं आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा अवगत करा रहे हैं, तो आइए जानते हैं निर्वस्त्र स्नान को क्यों निषेध बताया गया हैं।
क्यों है निर्वस्त्र नहाना मना—
हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत सी ऐसी बातें दर्ज हैं जो व्यक्ति के जीवन में बेहद उपयोगी मानी जाती हैं और साथ ही वे जीवन को सफल बना सकती हैं इनमें से पद्मु पराण की एक घटना के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण ने बताया हैं कि मनुष्यों को निर्वस्त्र होकर क्यों स्नान नहीं करना चाहिए। पद्म पुराण के अनुसार एक बार गोपियां नदी में स्नान कर रही थी।
तब श्रीकृष्ण ने उनके वस्त्र चुरा लिए और उन्हें पेड़ पर टांग दिया। जब गोपियों को इस बात का पता चला तो वे श्रीकृष्ण से अपने वस्त्र लौटाने के लिए प्रार्थना करने लगी। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें जल से बाहर आकर वस्त्रों को लेने की बात कही थी। इस पर गोपियों ने बताया कि वे नग्नावस्था में हैं और वे ऐसे जल के बाहर आ जाएं। तब प्रभु ने पूछा कि अगर उन्हें इसका भय था तो वे निर्वस्त्र होकर नदी में स्नान के लिए क्यों गईं।
इस पर गोपियों ने कहा जब वह जल में प्रवेश कर रही थी तब वहां कोई उपस्थित नहीं था। इस पर कृष्ण ने उत्तर दिया। कहा ऐसा तुम्हें लगा कि इस स्थान पर तुम्हारें सिवा और कोई नहीं हैं किन्तु मैं तो हर पल हर स्थान में मौजूद हूं। इसके अलावा आसमान में उड़ रहे पक्षियों ने, जमीन पर चल रहे कीडे मकोड़ों ने भी तुम्हें देखा। यही नहीं बल्कि पानी के जीवों ने और जल के देवता वरुण ने भी स्वयं तुम्हें नग्न अवस्था में देखा है। यह उनका अपमान हैं इसलिए तुम सब गोपियां पाप की भागीदार हो। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने बताया कि स्नान करते वक्त नग्नावस्था में भी हमे कोई न कोई देखा जरूर हैं ऐसे में निर्वस्त्र स्नान से परहेज करना चाहिए।
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