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आपने कई बार कुंभ मेले के कवरेज में देखा होगा कि नागा बाबा लोग कपड़े नहीं पहनते हैं और पूरे शरीर पर राख लपेटकर घूमते हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आपने कई बार कुंभ मेले के कवरेज में देखा होगा कि नागा बाबा लोग कपड़े नहीं पहनते हैं और पूरे शरीर पर राख लपेटकर घूमते हैं। उन्हे किसी की कोई शर्म या हया नहीं होती है वो उसी रूप में मस्त रहते हैं। उनके हिसाब से उनके इस स्वरूप में रहने के कई कारण होते हैं।
क्या होता है नागा का अर्थ:
नागा शब्द का अर्थ ही होता है नंगा, ये साधु पूरी तरह से नग्न अवस्था में रहते हैं और यही इनकी पहचान है। वे स्वयं को ईश्वर का देवदूत मानते हैं और उनकी उपासना में खुद को लीन कर लेते हैं कि उन्हे कपड़ों से कोई मतलब नहीं होता है।
क्या होती है हकीकत:
इनका परिवार: ये समुदाय को ही अपना परिवार मानते हैं। इनके लिए सांसारिक परिवार मायने नहीं रखता है।
कहां रहते हैं: ये लोग कुटिया बनाकर साधु जीवन व्यतीत करते हैं। इनका कोई विशेष स्थान या घर नहीं होता है।
क्या खाते हैं: ये तीर्थयात्रियों द्वारा दिए जाने वाले भोजन को ही ग्रहण करते हैं। इनके लिए दैनिक भोजन का कोई महत्व नहीं होता है
कपड़े न पहनना: इनका मानना है कि कपड़े, तन ढ़कने का काम करते हैं जिन्हे तन की सुरक्षा करनी हो, वही इसे पहनें। हम नागा बाबा हैं हमारे लिए कपड़ों का कोई महत्व नहीं होता है।
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