- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- पूरी के जगन्नाथ मंदिर...
धर्म-अध्यात्म
पूरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु को क्यों लगाया जाता है खिचड़ी का भोग, जाने इसके पीछे की पौराणिक कथा
Renuka Sahu
11 July 2021 4:15 AM GMT
x
फाइल फोटो
हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा करना बहुत शुभ होता है. मान्यता है कि जो लोग चारधाम की यात्रा करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है. जगन्नाथ मंदिर ओडिशा की पूरी में स्थित है. इसे धरती का स्वर्ग लोक कहा जाता है. हिंदू धर्म के चारों धामों में से एक पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा करना बहुत शुभ होता है. मान्यता है कि जो लोग चारधाम की यात्रा करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है. जगन्नाथ मंदिर ओडिशा की पूरी में स्थित है. इसे धरती का स्वर्ग लोक कहा जाता है. हिंदू धर्म के चारों धामों में से एक पुरी का जगन्नाथ मंदिर भी है. कल यानी 12 जुलाई से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा ( Jagannath Rath yatra) शुरू हो रही है. पूरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में.
जगन्नाथ मंदिर में हर सुबह खिचड़ी का बालभोग लगाया जाता है. इसके पीछे की पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु की परम भक्त कर्माबाई पुरी में रहती थीं. वे भगवान से अपने पुत्र की तरह प्यार करती थीं. कर्माबाई ठाकुरजी की बाल स्वरूप में पूजा करती थीं. एक दिन कर्माबाई का मन भगवान को फल- मेवे की जगह अपने हाथों से बनाकर कुछ खिलाने की इच्छा हुई. उन्होंने भगवान को अपनी इच्छा के बारे में बताया. भगवान अपने भक्तों के लिए हमेशा रहते हैं. उन्होंने कहा, मां जो भी बनाया है वो खिला दो, बहुत भूख लगी है. कर्मा बाई ने खिचड़ी बनाई थी और वहीं खाने को दे दी. प्रभु ने प्रेम से खिचड़ी खाई और माता दुलारा करते हुए पंखा झुलाने लगीं ताकि उनका मुंह न जल जाए.
प्रभु ने कहा, मुझे खिचड़ी बहुत अच्छी लगी और आप मेरे लिए रोज खिचड़ी ही पकाया करें. मैं यहीं खाऊंगा. भगवान रोज बाल स्वरूप में खिचड़ी खाने के लिए आया करते थे. एक दिन साधु मेहमान बनकर आए और उन्होंने देखा कि कर्माबाई बिना स्नान के खिचड़ी बनाकर ठाकुरजी को भोग लगाती है. उन्होंने कर्माबाई से ऐसा करने से मना कर दिया और भोग लगाने के कुछ नियमों के बारे में बताया. अगले दिन कर्माबाई ने नियमानुसार भोग लगाया जिसकी वजह से उन्हें देर हो गई. वो मन ही मन सोच कर दुखी होती हैं कि मेरा ठाकुर इतने देर तक भूखा रह गया.
ठाकुरजी खिचड़ी खाने आए तभी मंदिर में दोपहर के भोग का समय हो गया और वो झूठे मुंह ही मंदिर पहुंच गए. पड़ितों ने देखा ठाकुरजी के मुंह में खिचड़ी लगी है. इसके बाद प्रभु ने पुजारियों को सभी बात बतायी. जब ये बात साधु को पता चाली तो वह बहुत पछताएं और कर्माबाई से क्षमा याचना मांगी और कहा कि आप पहले की तरह बिना स्नान के भोग अर्पित करें. इसलिए आज भी जगन्नाथ मंदिर में सुबह के समय में खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. इसे कर्माबाई की ही खिचड़ी माना गया है.
Next Story