धर्म-अध्यात्म

भगवान विष्णु चतुर्मास में निद्रासन में क्यों होते हैं, जाने इसके पीछे का पौराणिक कथा

Tara Tandi
4 July 2021 7:17 AM GMT
भगवान विष्णु चतुर्मास में निद्रासन में क्यों होते हैं, जाने इसके पीछे का पौराणिक कथा
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चतुर्मास आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को समाप्त होगा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे शुभ होता है. इस महीने में पूजा पाठ करने से आपके सभी दुख दूर हो जाते हैं. कहते हैं विष्णु भक्तों के लिए ये महीना बहुत पावन होता है. इस महीने में देवशयनी एकादशी के बाद से चतुर्मास लग जाता है. इसके बाद से अगले चार महीने के लिए शादी, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं होते हैं. हिंदू धर्म में चतुर्मास 20 जुलाई से शुरू हो रहा है जो 14 नवंबर तक रहेगा.

चतुर्मास आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को समाप्त होगा. इस महीने के देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु चार महीने के लिए निद्रासन के लिए चले जाते हैं. इसके साथ सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण. अगर नहीं, तो आइए हम बताते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था. ऐसे में इंद्र ने भगवान विष्णु से साहयता मांगी. भगवान विष्णु ने वामन अवतरा लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी. भगवान विष्णु ने दो पग में धरती और आकाश नाप लिया और तीसरा पग कहा रखने का सवाल पूछा. राजा बलि समझ गए कि ये कोई आम व्यक्ति नहीं है. उन्होंने कहा, मेरे सिर पर रखें. इस तरह भगवान विष्णु ने तीनों लोक मुक्त कर लिए. भगवान बलि की दानशीलता और भक्ति देखकर वरदान मांगने को कहा. राजा बलि ने कहा कि आप मेरे साथ पाताल लोक चले और वहीं निवास करें.
भगवान विष्णु अपने भक्त की बात को मानते हुए पाताल लोक चले गए. इस बात से सभी देवी- देवता और माता लक्ष्मी चिंतित हो गई. देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मुक्त कराने के लिए चाल चली और गरीब स्त्री बनकर राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया. भगवान विष्णु ने अपने भक्त को निराश नहीं करते हुए आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक पाताल लोक में निवास करने का वचन दिया. इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु निद्रासन में चले जाते हैं. इस दौरान भगवान शिव सृष्टि का पालन करते हैं. आषाढ़ महीने के बाद भगवान शिव का प्रिय महीना सावन आता है. ये महीना शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है.


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