धर्म-अध्यात्म

भगवान शिव शरीर पर क्यों लपेटे रहते हैं भस्म, जाने इसका महत्व

Subhi
11 Oct 2022 2:24 AM GMT
भगवान शिव शरीर पर क्यों लपेटे रहते हैं भस्म, जाने इसका महत्व
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: भगवान शिव (Lord Shiva) को देवों का देव कहा जाता है. वे हमेशा तपस्या में लीन रहते हैं. देव-दानवों के बीच में वे कोई अंतर नहीं करते और जो भी उनकी शरण में आ जाता है, वे सबका कल्याण करते हैं. उनकी विचित्र वेशभूषा है. गले में नाग, माथे पर चंद्रमा और जटाओं में मां गंगा दिखती है. वे श्मशान में निवास करते हैं. सभी देवी-देवताओं में वे इकलौते हैं, जो त्रिनेत्र धारी हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर उनकी 3 आंखें क्यों हैं और वे अपने शरीर पर हमेशा भस्म क्यों लपेटे रहते हैं. चलिए आज हम इस रहस्य से आपको अवगत कराते हैं.

प्रलय का संकेत होता है तीसरा नेत्र खुलना

धार्मिक विद्वानों के मुताबिक भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं. भगवान ब्रह्मा जहां सृष्टि की रचना करते हैं, वहीं भगवान विष्णु इस संसार को चलाए रखते हैं. जबकि भगवान शिव (Lord Shiva) सृष्टि का संहार करते हैं. पुराणों के मुताबिक अलग-अलग युग आता है. पहले सत्य युग आया. उसके बाद द्वापर और फिर त्रेता युग आया. अब कलयुग चल रहा है. भगवान शिव जब भी माथे के बीचोंबीच बना अपना तीसरा नेत्र खोलते हैं तो एक पूरा युग समाप्त हो जाता है.

तीसरी आंख खुलते ही दुनिया का हो जाता संहार

कहा जाता है कि सभी देवों में भगवान शंकर बहुत भोले हैं और जल्दी से किसी से अप्रसन्न नहीं होते. हालांकि जब वे अप्रसन्न होते हैं तो दुनिया में बवंडर आने लगता है और चारों ओर हाहाकार मच जाता है. यह इस बात का संकेत होता है कि भगवान शिव अब बेहद क्रोध में हैं और उनका तीसरा नेत्र (Lord Shiva Third Eye) अब खुलने वाला है. यह संकेत मिलते ही सभी देव-देवता उनकी स्तुति कर उनके क्रोध को शांत करते हैं, जिससे संसार का असमय संहार होने से बच जाात है.

शरीर पर भस्म क्यों लपेटे रहते हैं भगवान शिव

कई शिवभक्तों के मन में यह जिज्ञासा रहती है कि भोले शंकर (Lord Shiva) अपने शरीर पर हमेशा भस्म क्यों लपेटे रहते हैं और हमेशा मृग चर्म ही क्यों पहनते हैं. इसकी वजह ये है कि भस्म लगाने पर शरीर के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं. जिससे शरीर का पसीना बाहर नहीं निकल पाता और ठंडी हवा अंदर प्रवेश नहीं कर पाती. यही कारण है कि भगवान शिव हमेशा भस्म लपेटे रहते हैं. मृग चर्म पहनने का कारण ये है कि भगवान शिव सदा तपस्वी हैं. ऐसे में वे किसी भी तरह के कपड़े या आभूषण नहीं पहन सकते. लिहाजा वे अपना तन ढंकने के लिए मृग चर्म का इस्तेमाल करते हैं.


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