धर्म-अध्यात्म

विजय दशमी पर मां दुर्गा को क्यों अर्पित किया जाता है सिंदूर

Subhi
15 Sep 2022 3:55 AM GMT
विजय दशमी पर मां दुर्गा को क्यों अर्पित किया जाता है सिंदूर
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हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है. वहीं, बंगाली समुदाय के लोग इस दिन से मां दुर्गा की स्थापना करते हैं. नवरात्रि के 9 दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है.

हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है. वहीं, बंगाली समुदाय के लोग इस दिन से मां दुर्गा की स्थापना करते हैं. नवरात्रि के 9 दिन तक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. विजय दशमी के दिन बंगाली समुदाय मां दुर्गा का विसर्जन क रते हैं. और इस दिन सिदूंर खेला की रस्म की जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करती हैं. मां दु्र्गा को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा अपने मायके आती हैं. ऐसे में देशभर के कई हिस्सों में मां दुर्गा के पंडाल सजाए जाते हैं.

नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा-उपासना की जाती है और दशमी के दिन सिंदूर की होली खेली जाती है और मां दुर्गा को विदाई दी जाती है. पश्चिम बंगाल, बंगाल और बांगलादेश आदि जगहों पर इस दौरान भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं. इस दिन पान के पत्ते से मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया जाता है. मान्यता है कि जब मां दुर्गा अपने मायके से विदा होकर अपने ससुराल जाती हैं, तो उनकी मांग सिंदूर से भरी होती है.

ऐसे निभाई जाती है ये प्रथा

सिंदूर खेला रस्म के दौरान पान के पत्तों को मां दुर्गा के गालों पर स्पर्श किया जाता है. फिर इस पत्ते से मां की मांग भरी जाती है और माथे पर सिंदूर लगाया जाता है. इसके बाद मां दुर्गा को पान और मिठाई आदि का भोग लगाते हैं और उनते आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है. इसके बाद सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं. ये उत्सव दुर्गा विसर्जन के दिन किया जाता है.

मां को देते हैं ये भेंट

जिस तरह से बेटियों को विदा करते समय उन्हें खाने-पीने का सामान और अन्य चीजें भेंट में दी जाती हैं. उसी प्रकार मां दुर्गा की विदाई के समय उनके साथ पोटली और ऋंगार की अन्य चीजों को रखा जाता है. ये प्रथा इसलिए निभाई जाती है ताकि देवलोक तक जाने में उन्हें किसी तरह की समस्या न आए. इस प्रथा को देवी बोरन के नाम से जाना जाता है.

सदियों पुरानी है ये प्रथा

विजय दशमी या दुर्गा विसर्जन के दिन मां दुर्गा को सिंदूर लगाने की ये रस्म सदियों पुरानी है. बंगाली समुदाय में इसका विशेष महत्व बताया जाता है. ये रस्म सबसे पहले पश्चिम बंगाल में शुरू हुई थी. लगभग 450 साल पहले महिलाओं ने मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा कर विसर्जन से पहले उनका श्रृंगार किया था और उन्हें मीठे व्यंजनों का भोग लगाया था. तभी से प्रथा देशभर में मनाई जाने लगी. आखिर में मां दुर्गा की, अपनी और दूसरी महिलाओं सिंदूर से मांग भरी. ऐसा माना जाता है कि भगवान प्रसन्न होकर उन्हें सौभाग्य का वरदान देंगे.


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