अगहन महीने में प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर पीले रंग का वस्त्र (कपड़े) पहनें। अब यथाशीघ्र ( मौन रह) भगवान भास्कर और केले के पेड़ को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद केले के पेड़ की पूजा गुड़, चने की दाल, केले, पीले चंदन और फूल से करें। साथ ही निम्न मंत्रों का जाप करें।

1

ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

2.

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।

3.

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणतक्लेशनाशय गोविंदाय नमो नम।।

4.

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने॥

प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥

5.

'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे।

हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।'

अंत में भगवान श्रीहरि विष्णु जी की आरती कर मनचाहे वर की कामना नारायण हरि विष्णु से करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ सम्पन्न करें। एक चीज का ध्यान रखें कि गुरुवार को तेल और साबुन का उपयोग न करें। इससे गुरु कमजोर होता है।