धर्म-अध्यात्म

क्रिसमस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, जाने महत्त्व

Bhumika Sahu
7 Dec 2021 6:03 AM GMT
क्रिसमस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, जाने महत्त्व
x
Christmas 2021: क्रिसमस का त्यौहार 25 दिसंबर को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वैसे तो मुख्य रूप से ये त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों का है. लेकिन मनाते इस त्यौहार को लगभग सभी धर्म के लोग हैं. लेकिन इस त्यौहार को मनाने का तरीका सभी का कुछ अलग सा है. ईसाई धर्म के लोग इस त्यौहार को चर्च में जाकर, प्रार्थना सभा करके, कैंडल जला के, केक काट के, क्रिसमस ट्री सजा के, तमाम तरह की डिशेज बना के और पार्टी करके इस त्यौहार को मानते हैं. तो बाकी धर्म के लोग भी इस दिन को अपनी-अपनी तरह से सेलिब्रेट करते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश और दुनिया में क्रिसमस (Christmas) का त्यौहार हर वर्ष 25 दिसंबर को मनाया जाता है. इस त्यौहार (Festival) का बहुत ही विशेष महत्त्व (Importance) है. वैसे तो मुख्य रूप से ये त्यौहार ईसाई धर्म का है लेकिन इस त्यौहार को मनाते लगभग सभी धर्म के लोग हैं. हां ये बात और है कि इस त्यौहार को मनाये जाने के तरीके अलग-अलग हैं. ईसाई धर्म के लोग इस त्यौहार को चर्च में जाकर प्रार्थना करके, कैंडल जला के, घर में प्रार्थना सभा करके, केक काट के, क्रिसमस ट्री सजा के, तमाम तरह की डिशेज बनाकर के और पार्टी करके इस त्यौहार को मानते हैं. तो बाकी धर्म के बहुत लोग भी इस दिन चर्च जाना, कैंडिल जलाना और पार्टी करना पसंद करते हैं. तो बहुत लोग इस दिन क्रिसमस ट्री सजाकर और पिकनिक मनाकर भी इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं. आइये जानते हैं कि क्रिसमस का ये त्यौहार क्यों मनाया जाता है और इस दिन का क्या महत्त्व है.

इसलिए मनाया जाता है क्रिसमस
ईसाई मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था. जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है. माना जाता है कि यीशु मसीह ने इसी दिन मरीयम के घर जन्म लिया था. प्राचीन कथा के अनुसार मरीयम को एक सपना आया था.
इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी. इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुईं और उनको गर्भावस्था के दौरान बेथलहम में रहना पड़ा. एक दिन जब रात ज्यादा हो गई तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं दिखी. ऐसे में उन्होंने एक ऐसी जगह पर रुकना पड़ा जहां पर लोग पशुपालन किया करते थे. उसी के अगले दिन 25 दिसंबर को मरियम ने प्रभु यीशु को जन्म दिया था. इसी वजह से इस दिन को क्रिसमस के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि प्रभु यीशु मसीह ने ही ईसाई धर्म की स्थापना की थी.
क्रिसमस का महत्त्व
ईसाई मतानुसार 360 ईसवी के करीब पहली बार रोम के एक चर्च में यीशु मसीह के जन्मदिन का उत्सव मनाया गया था. लेकिन उस दौरान यीशु मसीह यानी जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन की तारीख को लेकर बहस जारी थी.
इसके बाद लगभग चौथी शताब्दी में 25 दिसंबर को यीशु मसीह का जन्मदिवस घोषित किया गया. जिसके बाद वर्ष 1836 में अमेरिका में क्रिसमस डे को आधिकारिक रूप से मान्यता मिली और 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया. तब से इस दिन को महत्वपूर्ण मानते हुए क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है.


Next Story