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धर्म-अध्यात्म
अहोई अष्टमी का व्रत क्यों रखा जाता है, ऐसे लोग जरूर करें पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
Renuka Sahu
26 Oct 2021 2:19 AM GMT
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फाइल फोटो
पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखने के बाद मांएं अपनी संतान के लिए अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत रखती हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखने के बाद मांएं अपनी संतान के लिए अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) का निर्जला व्रत रखती हैं. यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है. इस साल यह व्रत 28 अक्टूबर 2021 को है. यह व्रत संतान (Child) की उन्नति, अच्छी सेहत, लंबी उम्र और उसकी सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है. यह व्रत रात में आसमान में तारे देखने के बाद खोला जाता है.
ऐसे करें अहोई अष्टमी का व्रत
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2021) के दिन मां को सूर्योदय से पहले उठकर नहाकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद पूरे दिन निर्जला रहकर ये व्रत करना होता है और फिर रात को आसमान में तारे और चंद्रमा देखने के बाद उन्हें अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है. इस व्रत की पूजा का मुहूर्त आमतौर पर शाम का ही रहता है. इस दिन पूजा करने के बाद महिलाओं को अपनी सास का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए.
अहोई अष्टमी की पूजा विधि
इस दिन अहोई माता (Ahoi Mata) की पूजा की जाती है. इसके लिए दीवार पर या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही सेई और उसके 7 पुत्रों का भी चित्र बनाएं. फिर अपने बच्चों के कल्याण और उनकी सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा शुरू करें. इसके लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखें. कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर रोली-चावल से माता की पूजा करें. उन्हें मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं. इसके बाद हाथ में गेंहू के 7 दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें. आखिर में चंद्रमा और तारों को अर्घ्य दें.
इस साल अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami Puja Shubh Muhurat) 28 अक्टूबर 2021, गुरुवार को शाम 05:39 से 06:56 तक है. वहीं तारों को देखने का समय शाम को करीब 06:03 बजे है.
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