धर्म-अध्यात्म

मुहर्रम का 10वां दिन क्यों है खास, जानिए इस्लामिक कैलेंडर का महत्व

Shiddhant Shriwas
20 Aug 2021 2:46 AM GMT
मुहर्रम का 10वां दिन क्यों है खास, जानिए इस्लामिक कैलेंडर का महत्व
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इस्लाम धर्म में मुहर्रम को बहुत ही खास महीना माना जाता है। हिजरी कैलेंडर की नींव खलीफा हजरत उमर फारुख ने की थी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस्लामिक कैलेंडर में मुहर्रम साल का पहला महीना होता है। इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर के नाम से जाना जाता है। इस्लाम धर्म में मुहर्रम को बहुत ही खास महीना माना जाता है। हिजरी कैलेंडर की नींव खलीफा हजरत उमर फारुख ने की थी। मुहर्रम को गम का महीना भी कहा जाता है। इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। बीते 09 अगस्त को मुहर्रम महीने की शुरुआत हो चुकी है और यह 07 सितंबर को खत्म होगा। मुहर्रम के दसवें दिन को आशूरा कहते हैं और इसी दिन मुहर्रम मनाया जाता है।

मुहर्रम क्यों मनाया जाता है

मुहर्रम महीने के दसवें दिन को बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि आशूरा के दिन ही कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। मुहर्रम के दसवें दिन ही हजरत इमाम हुसैन की शहादत के कारण इस दिन मातम मनाया जाता है। इस दिन शिया समुदाय के लोग हजरत इमाम हुसैन को याद करते हुए बड़ी संख्या में ताजिया और जुलूस के साथ सड़कों पर मातम मनाते हुए उनकी कुर्बानी को याद करते हैं।

मोहम्मद साहब के मरने के लगभग 50 वर्ष बाद मक्का से दूर कर्बला के गवर्नर यजीद ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया। कर्बला जिसे अब सीरिया के नाम से जाना जाता है। वहां यजीद इस्लाम का शहंशाह बनाना चाहता था। इसके लिए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया। लोगों को गुलाम बनाने के लिए वह उन पर अत्याचार करने लगा।

यजीद पूरे अरब पर कब्जा करना चाहता था। लेकिन उसके सामने हजरत मुहम्मद के वारिस और उनके कुछ साथियों ने यजीद के सामने अपने घुटने नहीं टेके और जमकर मुकाबला किया। अपने बीवी बच्चों की सलामती के लिए इमाम हुसैन मदीना से इराक की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते में कर्बला के पास यजीद ने उन पर हमला कर दिया। इमाम हुसैन और उनके साथियों ने मिलकर यजीद की फौज से डटकर सामना किया। हुसैन के काफिले में 72 लोग थे और यजीद के पास 8000 से अधिक सैनिक थे लेकिन फिर भी उन लोगों ने यजीद की फौज के समाने घुटने नहीं टेके। हालांकि वे इस युद्ध में जीत नहीं सके और सभी शहीद हो गए। किसी तरह हुसैन इस लड़ाई में बच गए। यह लड़ाई मुहर्रम 2 से 6 तक चली।

नया इस्लामिक वर्ष

बीते 09 अगस्त 2021 से नया इस्लामिक वर्ष शुरू हो गया है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम साल का पहला महीना होता है। मुहर्रम महीने का 10वां दिन आशूरा कहलाता है। इस दिन पर हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी जिसे मातम के रूप में मनाया जाता है।

इस्लामी साल के 12 महीने

1. मोहर्रम 2. सफर 3. रबी अल-अव्वल 4. रबी- उस्सानी 5. जमाद अल-अव्वल 6. जमादुस्सानी 7. रजब 8. शाबान 9. रमजान 10. शव्वाल 11. जिलकाद 12. जिल हिज्ज

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