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water and Sawan: भगवान शिव को जल और सावन क्यों है अतिप्रिय
शिवमहापुराण Shivmahapuran: शिवमहापुराण में देवाधिदेव महादेव को सबसे प्रिय होने के पांच प्रमुख कारण बताए गए हैं। ज्योतिषाचार्य पं. सोमनाथ ओझा के ब्रह्मा के पुत्र सनत कुमारों ने शिवजी से प्रश्न किया था कि आपको सावन का माह क्यों प्रिय है तो शिवजी ने स्वयं उन्हें यह पांचवां कारण बताया था।
पहला कारण- राजा दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह करने के बाद माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती Birth Mother Parvati के रूप में हुआ। माता पार्वती ने शिवजी को कठोर तप करवाया था। अपने निवास सावन माह में शिवजी ने माता से विवाह किया था। इसलिए मुझे यह अत्यंत प्रिय है।
दूसरा कारण- देव-देवताओं ने सामूहिक समुद्र मंथन किया था। मन्थम में सबसे पहले विष निकला। विष को शिव ने अपने गले में धारण कर लिया था। विष के कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ने लगा तो गॉड्स ने वेसेल्स शीतल जल को शांत कर दिया। तब से शिवजी को जल अतिप्रिय है।
तीसरा कारण: कई स्थानों पर बारिश में शिवलिंग पानी में डूबे रहते हैं। मान्यता के ऊपर एक कलश लटका रहता है जिसमें बूंद-बूंद जल टपकता रहता है, उसे जलाधारी कहा जाता है। जहाँ भी प्राकृतिक श्रृंगार है, वहाँ जलधारा भी है। सावन में यह शीतलता प्रदान करती है।
चौथा कारण: शिव जी को मस्तक पर चंद्रमा और गंगा मैया का रिश्ता भी जल से है। कैलास पर्वत के चारों ओर बर्फ जमी हुई है और उसके आस-पास ही मान झील है। सावन में इस जल की शीतलता विशेष रूप से बढ़ती है, इसलिए शिवजी को सावन और जल प्रिय हैं।बाद में बदलेगी शनि की चाल: इन 3 शेयरों को मिलेगा बिजनेस धन लाभ, बेहद बड़ी उपलब्धि