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भगवान शिव को क्यों प्रिय है बेल पत्र, जाने इसके पीछे का इतिहास
आज से भगवान शिव के प्रिय मास सावन की शुरूआत हो रही है। आज से पूरे एक महीने शिव भक्त विभिन्न तरीकों से भगवान शिव का पूजन-अर्चन करगें। शिवालयों और शिव मंदिरों में जाकर भगवान शिव की प्रिय वस्तुओं को अर्पण कर उनकी कृपा पाने का प्रयास करते हैं। भगवान शिव की ऐसी ही एक प्रिय वस्तु है बेल पत्र। मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को नियमित रूप से बेल पत्र चढ़ाने से शिव जी की अनन्य कृपा की प्राप्ति होती है। आइए हम आपको बताते हैं कि भगवान शिव को बेल पत्र क्यों प्रिय है और बेल पत्र चढ़ाने में किन बातों को ध्यान रखना चाहिए।
शंकर जी को क्यों प्रिय है बेल बत्
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब पार्वती जी के माथे से पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर जा गिरी। पार्वती जी के उस पसीने की बूंद से ही बेल का वृक्ष उत्पन्न हुआ। मान्यता है कि बेल के पेड़ की जड़ में में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती तथा पुष्प में गौरी जी का वास होता है । इसी कारण शंकर जी को बेलपत्र प्रिय हैं। इसके अतिरिक्त मान्यता है कि बेल पत्र के मूल भाग में सभी तीर्थ स्थित होते हैं। भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने से सभी तीर्थों की यात्रा का पुण्य मिलता है।
बेल पत्र चढ़ाने में रखें इन बातों का ध्यान
1- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करते समय ध्यान रखे एक साथ जुड़ी हुई तीन पत्तियों वाली बेल पत्र ही चढ़ाना चाहिए।
2- भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसकी पत्तियां कहीं से भी कटी-फटी न हो या फिर उसमें कहीं छेद न हो।
3- बेल पत्र को कभी भी अशुद्ध नहीं माना जाता है। शिव जी को चढ़ाए गए बेल पत्र को दोबारा धुलकर फिर से चढ़ाया जा सकता है।
4- शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ाते समय ध्यान रशने चाहिए कि बेल पत्र की सतह जिस ओर से चिकनी हो उस ओर से ही बेल पत्र चढ़ाना चाहिए।
5- शिव लिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए अनामिका, मध्यमा और अंगूठे का प्रयोग करना चाहिए।
6- शिव जी को बेल पत्र चढ़ाते समय जल की धारा शिव लिंग का से अभिषेक करना चाहिए।
7- मान्यता है कि सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। शंकर जी को बेल पत्र चढ़ाने के लिए एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए।