धर्म-अध्यात्म

आखिर 2 दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी?

Ritisha Jaiswal
11 Aug 2022 11:03 AM GMT
आखिर 2 दिन क्यों मनाई जाती है जन्माष्टमी?
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भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, जन्माष्टमी (Janmashtami) का उत्सव भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है.

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, जन्माष्टमी (Janmashtami) का उत्सव भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है. हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी प्रमुख त्योहारों में से एक है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी और श्रीकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है. श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दौरान भक्त उपवास रखते हैं और देर रात तक भजन-कीर्तन करते हैं. श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. लेकिन क्या आप जानते हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव अक्सर दो दिन मनाया जाता है? स्मार्त और वैष्णवों द्वारा जन्माष्टमी अलग-अलग दिन मनाई जाती है.

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, 18 अगस्त को भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की तिथि रात में करीब 9.22 बजे शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 19 अगस्त की रात करीब 11 बजे तक रहेगी. ऐसे में वैष्णव मत और स्मार्त मत दोनों अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाएंगे.
दो दिन जन्माष्टमी
वैष्णव और स्मार्त दोनों तिथियों के अनुसार जन्माष्टमी का उत्सव मनाते हैं. जन्माष्टमी की तिथि सामान्य होने पर स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय एक ही दिन जन्माष्टमी मनाते हैं. वहीं, अलग-अलग तिथि होने पर अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाई जाती है, जिसमें पहले स्मार्त और दूसरी तारीख को वैष्णव संप्रदाय मनाते हैं.
यह है वजह
स्मार्त इस्कॉन पर आधारित कृष्ण जन्म तिथि का पालन नहीं करते हैं. वैष्णव संस्कृति में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अनुसार, जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. वहीं, स्मार्त सप्तमी तिथि के आधार पर त्योहार मनाते हैं.
वैष्णव अनुयायियों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर की नवमी और अष्टमी तिथि को आता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है. श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देर रात को मनाया जाता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देर रात को हुआ था.


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