धर्म-अध्यात्म

हवन में आहुति देते समय क्यों बोला जाता है स्वाहा, जाने इसके पीछे का महत्व

Subhi
25 Feb 2022 2:43 AM GMT
हवन में आहुति देते समय क्यों बोला जाता है स्वाहा, जाने इसके पीछे का महत्व
x
सनातन धर्म में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में बताए गए हैं, जिसमें हवन और यज्ञ के विशेष महत्व के बारे में बताया गया है। तमाम शुभ अवसरों और धार्मिक कार्यों पर अक्सर घर में हवन का आयोजन किया जाता है।

सनातन धर्म में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में बताए गए हैं, जिसमें हवन और यज्ञ के विशेष महत्व के बारे में बताया गया है। तमाम शुभ अवसरों और धार्मिक कार्यों पर अक्सर घर में हवन का आयोजन किया जाता है। नया घर, दुकान, बिजनेस या फिर शादी-ब्याह जैसे तमाम मौकों पर हवन और यज्ञ जरूर किया जाता है। हमारे देश में हवन की परंपरा बहुत पुरानी है। हवन के दौरान अगर आपने कभी ध्यान दिया हो तो देखा होगा कि मंत्र के बाद स्वाहा शब्द जरूर बोला जाता है। इसके बाद ही आहुति दी जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर प्रत्येक आहुति पर स्वाहा शब्द क्यों बोला जाता है और इसे बोलना क्यों जरूरी माना जाता है? अगर नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं कि हर आहुति पर स्वाहा शब्द क्यों बोला जाता है...

हवन के दौरान स्वाहा बोलने को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। पहली मान्यता के अनुसार, स्वाहा प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं। स्वाहा की शादी अग्नि देव के साथ हुई। इसीलिए अग्नि में जब भी कोई चीज समर्पित करते हैं, तो उनकी पत्नी को भी साथ में याद किया जाता है, तभी अग्निदेव उस चीज को स्वीकार करते हैं।

इसके अलावा दूसरी कथा के अनुसार, प्रकृति की एक कला के रूप में स्वाहा का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया था कि उनके नाम से ही देवता हविष्य ग्रहण करेंगे। यही कारण है कि हवन के दौरान स्वाहा जरूर बोला जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार एक बार देवताओं के पास अकाल पड़ गया, उनके पास खाने-पीने की चीजों की कमी पड़ने लगी। ऐसे में ब्रह्मा जी ने उपाय निकाला कि धरती पर ब्राह्मणों द्वारा खाद्य-सामग्री देवताओं तक पहुंचाई जाए। इसके लिए अग्निदेव को चुना गया, क्योंकि अग्नि में जाने के बाद कोई भी चीज पवित्र हो जाती है। लेकिन अग्निदेव पास उस समय भस्म करने की क्षमता नहीं हुआ करती थी, इसीलिए स्वाहा की उत्पत्ति हुई। इसके बाद जब भी कोई चीज अग्निदेव को समर्पित की जाती थी तो स्वाहा उसे भस्म कर देवताओं तक पहुंचा देती थीं। तब से स्वाहा हमेशा अग्निदेव के साथ रहती हैं। जब भी कोई धार्मिक कार्य होता है तो स्वाहा बोलने से अर्पित की गई चीज को स्वाहा देवताओं तक पहुंचाती हैं।


Next Story