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धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदना क्यों माना जाता है शुभ? आइये जानते हैं विस्तार से
जनता से रिस्ता वेबडेसक | हिंदू धर्म के मुताबिक धनतेरस (Dhanteras) से ही दीपावली पर्व की शुरुआत होती है. यह महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है जिसमें लोग सोना (Gold) और चांदी (Silver) के बर्तन खरीदना (Buy) शुभ मानते हैं. यह त्योहार कार्तिक महीने के 13वें दिन मनाया जाता है जिसे त्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस के खास मौके में देवी लक्ष्मी के साथ भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धनतेरस आखिर क्यों मनाया जाता है और इस दिन सोना-चांदी आदि खरीदना शुभ क्यों माना जाता है? तो आइए यहां हम आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी (Story) को.
इसलिए मनाते हैं धनतेरस
मान्यता है कि धनतेरस के दिन समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरि सोने का कलश लेकर उत्पन्न हुए थे. धनवंतरि के उत्पन्न होने के 2 दिन बाद समुद्र मंथन से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं इसलिए दीपावली से 2 दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है और इसलिए इस दिन सोना या फिर बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है.
धनतेरस मनाने के पीछे ये है पौराणिक कथा
एक बार राजा बलि के भय से देवतागण परेशान थे. उस वक्त विष्णु ने वामन का अवतार लिया था. एक बार वो यज्ञ स्थल पर पहुंचे जहां असुरों के गुरु शुक्राचार्य ने विष्णु भगवान को पहचान लिया और राजा बलि से कहा कि वे वामन जो कुछ भी मांगे उसे ना दें. लेकिन राजा बलि महा दानी भी थे इसलिए उन्होंने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी और वामन बने विष्णु ने उनसे तीन पग भूमि मांग ली. राजा बलि ने स्वीकार कर लिया. मौके को भाप कर उसी वक्त गुरु शुक्राचार्य ने छोटा रूप धारण किया और वामन बने विष्णु के कमंडल में जाकर छिप गए. विष्णु भगवान को ज्ञात हो गया कि शुक्राचार्य उनके कमंडल में हैं और उन्होंने कमंडल में कुश इस तरह से डाला कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई. भगवान वामन ने खुद का अवतार बड़ा किया और पहले पग में धरती नाप ली, दूसरे पग में अंतरिक्ष नाप लिया और तीसरा पग रखने की जगह नहीं बची तो बलि ने वामन बने विष्णु के पैरों के नीचे अपना सिर रख लिया. इस तरह बलि की हार हुई और देवताओं के बीच बलि का भय खत्म हो गया और तभी से इस जीत की खुशी में धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है.
इस दिन सोना-चांदी खरीदने के पीछे की ये है कहानी
पौराणिक कथा है कि हिम नाम का एक राजा था जिसके बेटे को श्राप मिला कि शादी के चौथे दिन ही उसकी मृत्यु हो जाएगी. हिम के बेटे से जिस राजकुमारी की शादी होने वाली थी जब उसे पता चला तो शादी के चौथे दिन पति से जागे रहने को कहा. पति को नींद ना आए इसलिए वो पूरी रात उन्हें कहानियां और गीत सुनाती रही. उसने घर के दरवाजे पर सोना-चांदी और बहुत सारे आभूषण रख दिए और खूब सारे दीए जलाए. जब यमराज सांप के रूप में हिम के बेटे की जान लेने पहुंचे तो इतनी चमक-धमक देखकर वो अंधे हो गए. इस तरह सांप घर के अंदर प्रवेश नहीं कर सका और आभूषणों के ऊपर बैठकर कहानी और गीत सुनने लगा. इस तरह सुबह हो गई और राजकुमार की मृत्यु की घड़ी समाप्त हो गई. तब से इस दिन मान्यता है कि सोना-चांदी खरीदने से अशुभ चीजें और नकारात्मक शक्तियां घर के अंदर नहीं करती हैं. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)