धर्म-अध्यात्म

क्‍यों मनाई जाती है देव दीपावली? जानें महत्व

Tulsi Rao
6 Nov 2022 10:27 AM GMT
क्‍यों मनाई जाती है देव दीपावली? जानें महत्व
x

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Dev Deepawali 2022: कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली का त्‍योहार मनाया जाता है. इसी दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था, उसकी खुशी में इस त्योहार को मनाया जाने लगा है. इस शुभ अवसर पर वाराणसी में विशेष तौर पर गंगा नदी के तट पर पूजा पाठ और दीप दान होता है. ऐसी मान्यता है कि, कार्तिक पूर्णिमा पर सभी देवी-देवता काशी में दीप जलाते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं. जिस तरह धनतेरस और गोवर्धन पूजा दो दिन मनाई जा रही थी, उसी तरह लोग इस त्‍योहार को लेकर भी असमंजस में है कि देव दीपावली 7 नवंबर को मनाई जाएगी या 8 नवंबर को, तो चलिए जान लेते हैं देव दीपावली कब मनाई जाने वाली है? इस पूजा का शुभ मुहूर्त कब है? और पूजा-विधि क्‍या होगी?

क्‍यों मनाई जाती है देव दीपावली?

पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक, त्रिपुरासुर राक्षस के अत्याचार से तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था, इस वजह से सभी देवताओं ने इस राक्षस से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की, फिर भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध कर दिया. इस खुशी में सभी देवी और देवताओं ने भगवान शिव की नगरी काशी यानी वाराणसी में उत्सव मनाया और दीप दान किया. तभी से ही हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है.

देव दीपावली 2022 शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:53 से सुबह 05:45 तक

अभिजित मुहूर्त सुबह 11:43 से दोपहर 12:26 तक

विजय मुहूर्त दोपहर 01:54 से दोपहर 02:37 तक

गोधूलि मुहूर्त शाम 05:32 से शाम 05:58 तक

अमृत काल शाम 05:15 से शाम 06:54 तक

रवि योग शाम 06:37 से 8 नवंबर की रात 12:37 तक

कार्तिक पूर्णिमा 7 नवंबर को या 8 नवंबर को

कार्तिक पूर्णिमा 7 नवंबर शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और 8 नवंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. आप देव दीपावली का पूजन शाम 05 बजकर 14 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट तक कर सकते हैं.

देव दिवाली की पूजा-विधि (Dev Diwali Puja Vidhi 2022)

इस पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में डुबकी लगानी चाहिए या घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि गंगा स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है. स्‍नान करने के बाद शिव जी, विष्णु जी और देवताओं करें और पूजा करें, फिर शाम के समय किसी नदी किनारे जाकर दीपदान करना चाहिए. अगर आप वहां नहीं जा सकते हैं तो किसी मंदिर में जाकर भी दीपदान कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने घर के पूजा स्थल पर भी दीप जला सकते हैं. भगवान गणेश, शिव जी और भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा करें. शाम के समय में फिर से भगवान शिव की पूजा होती है. शिव जी को फूल, घी, नैवेद्य और बेलपत्र अर्पित किश जाता है.

Next Story