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धर्म-अध्यात्म
Karwa Chauth की पूजा में कांस की सींक से क्यों दिया जाता है अर्घ्य? जानें महत्व
Tara Tandi
19 Oct 2024 12:22 PM GMT
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Karwa Chauth ज्योतिष न्यूज़ : रविवार 20 अक्टूबर 2024 को करवा चौथ का त्यौहार है, इन दिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र की मनोकामना के लिए व्रत रखती है, तो आज के इस वीडियो में हम जानेगें पवित्र करवा चौथ की पूजा विधि और पवित्र कहानी
करवा चौथ व्रत की पहली कहानी सात भाईयों की बहन का अमर सुहाग
एक समय की बात है, एक साहूकार के सात पुत्र और एक पुत्री थी, सात भाइयों की इकलौती बहन होने के चलते उसे सभी भाई बहुत प्रेम करते थे। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को साहूकार की पत्नी समेत उसकी सातों बहुओं और पुत्री ने करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन का आग्रह किया। इस बात पर बहन ने कहा कि भैया आज मेने भी करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा के दर्शन के पश्चात उसे अर्घ्य देकर ही अन्न और जल ग्रहण कर सकती हूँ।
साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे और उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। अपनी बहन का ये हाल देखकर उन्हें ऐसा विचार आया कि यदि चंद्रमा जल्दी ही निकल आए तो उनकी बहन जल्दी ही व्रत का पारण कर खाना खा सकती है।जिसके बाद उन्होंने नगर के पास की पहाड़ी पर एक दीपक जलाकर चलने की ओट में रख दिया और बहन से बोले देखो बहन चांद निकल आया अब तुम अपना व्रत खोल सकती हो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से भी चंद्रमा के दर्शन करके व्रत खोलने को कहा, लेकिन उनकी भाभियों ने कहा कि बोली बाईसा ये तो आपका चांद निकला है हमारा चांद निकलने में अभी समय है। भूख से व्याकुल बहन ने भाभियों की बात को अनसुना कर दिया और अपने भाइयों की बात मानकर भाइयों द्वारा दिखाए गए नकली चांद को अर्घ्य देकर अन्न जल ग्रहण कर लिया।
लेकिन जैसे ही उसने पहला घास खाया तो उसे छींक आ गई, दूसरा घास खाया तो उसमे बाल निकल आया और जैसे वो तीसरा घास खाने वाली ही थी कि ससुराल से बुलावा आ गया. सन्देश वाहक ने बताया कि उसका पति बीमार है और वो जैसी भी हालत में हो उसे तुरंत वापस बुलाया गया है। यह सुन कर उसे विदा करने के लिए जब लड़की की माँ ने बक्से से कपड़े निकले तो बार-बार काले और सफेद कपड़े ही निकले. यह देख कर लड़की बोली की मां तुम ये सब रहने दो, में ऐसे ही चली जाती हूँ। यह सब देख माँ घबराकर बेटी से बोली बेटा रास्ते में जो भी बड़ा-छोटा मिले सबके पैर छुती जाना और जब कोई भी बुढ सुहागन होने का आशीर्वाद दे वहीं अपने पल्लू में गांठ बांध लेना।
बेटी बोली ठीक है मां और वह अपनी ससुराल की ओर चल दी और रास्ते में उसे जो भी मिला वे सबके पाव छूती गई। सबने उसे सुखी रहो, खुश रहो, पीहर का सुख देखो सबने उसे ऐसा आशीर्वाद दिया। देखते ही देखते वह अपने ससुराल पहुंच गई ससुराल के आंगन में छोटी नंद खेल रही थी जब उसके पास गई तो उसने आशीर्वाद दिया सदा सौभाग्यवती रहो और पुत्रवती हो। यह सुनते ही उसने अपने पल्लू में गांठबांध ली। इसके बाद जैसे ही वो घर के अंदर गई तो उसने देखा की उसके पति का शव रखा है और उसे ले जाने की तैयारी हो रही है.
वह बहुत रोई जैसे ही उसके पति को ले जाने लगे। तब वह बोली मैं इन्हें कहीं नहीं जाने दूंगी। जब कोई नहीं माना तब वह बोली मैं भी इनके साथ चलूंगी। जब वह नहीं मानी तब बड़े बूढ़े बोल ले चलो इसको भी साथ में, वह सबके साथ शमशान चली गई। अंतिम संस्कार का समय हुआ तो बोली मैं इन्हें नहीं जलाने दूंगी। सभी लोग नाराज हो गए और बोले, पहले तो अपने पति को खा गई और उसकी मिट्टी भी अब खराब कर रही है। लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी और अपने पति को लेकर बैठ गई। परिवार के बड़े लोग ने निर्णय लिया कि इसे यहीं रहने दो और एक झोपड़ी डलवा दो वह उस झोपड़ी में अपने पति को लेकर रहने लगी। पति की साफ सफाई करती और उसके पास बैठी रहती दिन में दो बार उसकी छोटी नंद खाना देने आती।
वह हर चौथ का व्रत करती और चांद को अर्घ्य देती और जब चौथ माता आती तो कहती करबो ले करबो भाइयों की प्यारी ले करबो ले घड़ी बुखारी करबो ले वह चौथ माता से अपने पति की प्राण मांगती लेकिन चौथ माता उसे यह कहती कि हमसे बड़ी चौथ माता आएंगे तब उनसे तुम अपने पति की प्राण मांगना। एक-एक करके सभी चौथ आई और सभी यह कहकर सभी चली गई। अश्विन की चौथ माता बोली, तुमसे कार्तिक की चौथ माता नाराज है। तुम्हारा सुहाग वही लौट आएंगे तुम उनके पैर मत छोड़ना सोलह श्रृंगार के सारा सामान तैयार कर लेना। जब कार्तिक की बड़ी चौथ करवा चौथ आई। तो उसने अपनी छोटी नंद से सोलह श्रृंगार का सामान और करवा मंगवाया। जब सास को यह पता चला तो वह बोली पागल हो गई है जो मांगती है दे आओ।
साहूकार की बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा दीपक जलाया जैसे ही करवा माता प्रकट हुई तो बोली करबो ले करबो भाइयों की प्यारी ले करबो ले घड़ी बुखारी करबो ले दिन में चांद उगने वाली करबो ले उसने उनके पैर पकड़ लिया और बोली माता मेरा सुहाग वापस करो तब चौथ माता बोली, तू तो बहुत भूखी है। सात भाइयों की प्यारी बहन है सुहाग का तेरे लिए क्या काम ? तब साहूकार की बेटी बोली माता मैं आपकी पैर तब तक नहीं छोडूंगी जब तक आप मेरा सुहाग वापस नहीं करती। चौथ माता ने एक-एक करके उससे सुहाग का सारा सामान मंगा। उसने 16 श्रृंगार का सारा समान चौथ माता को दे दिया। चौथ माता ने आंखों से काजल निकला, नाखूनों से मेहंदी निकाली, मांग से सिंदूर निकला और उसे करवे में घोलकर छोटी उंगली से उसके पति को छींटा दिया, छींटा देते ही उसका पति जीवित हो गया और चौथ माता जाते-जाते उसकी झोपड़ी पर लात मार गई जिससे उसकी झोपड़ी महल बन गई।
जब उसकी छोटी नंद खाना लेकर आई तो देखा की भाभी की झोपड़ी की जगह एक महल खड़ा है। नंद को देखते ही वह दौड़ी दौड़ी उसके पास आई और बोली बाई साह देखो आपका भाई वापस आ गया जाओ सासू जी से कह दो की हमें लेने गजे बाजे के साथ आये। छोटी नंद दौड़ी दौड़ी मां के पास गई और बोली मां भाई जिंदा हो गया। मां भोली भाभी के साथ-साथ तेरा भी दिमाग खराब हो गया है। वह बोली नहीं माँ मैंने देखा है सच में भाई जिंदा हो गया है। सभी घरवाले गाजे बाजे के साथ अपने बेटे को लेने पहुंचे। बेटे को जिंदा देखकर सास बहू के पैर छूने लगी और बहू सास के पैर छूने लगी। बहु बोली माताजी देखो आपका बेटा वापस आ गया। सास बोली बहु मैं इसे साल भर पहले इसे भेज दिया था। यह तो तेरे भाग्य से वापस आया है। हे चौथ माता जैसे पहले लड़की के साथ करी किसी के साथ ऐसा मत करना। और जैसे बाद में उसे अमर सुहाग दिया। इस कथा को कहते और सुनते और हुंकार भरना सब पर कृपा करना। जय करवा चौथ माता।
करवा चौथ व्रत की दूसरी कहानी बुढ़िया और गणेश जी का वरदान
बहुत समय पहले की बात है, एक अन्धी बुढ़िया थी जो अपने गरीब बेटे और बहू के साथ रहती थी। वह अन्धी बुढ़िया रोजाना गणेश जी की पूजा किया करती थी। गणेश जी उस बुढ़िया से प्रसन्न होकर एक दिन साक्षात् सन्मुख आकर कहते हैं कि मैं आपकी पूजा से प्रसन्न हूं आपको जो वर मांगना है वो मांग लें। बुढिया कहती है, मुझे मांगना नहीं आता तो कैसे और क्या मांगू।
तब गणेश जी बोले कि अपने बहू बेटे से पूछकर मांग लो। तब बुढिया ने अपने पुत्र और वधु से पूछा तो बेटा बोला कि धन मांग ले और बहु ने कहा की पोता मांग लें। तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बातें कर रहे हैं। फिर बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा तो, पड़ोसियों ने कहा कि बुढ़िया तेरी थोड़ी सी जिंदगी बची है। क्यूँ मांगे धन और पोता, तू तो केवल अपने नेत्र मांग ले जिससे तेरी बाकी की जिंदगी सुख से व्यतीत हो जाए।
उस बुढ़िया ने बेटे और बहू तथा पडौसियों की बातें सुनकर घर में जाकर सोचा, कि क्यों न ऐसी चीज मांग लूं जिसमें बेटा बहू और मेरा सबका ही भला हो। जब दूसरे दिन श्री गणेश जी आये और बोले, कि आपको क्या मांगना है कृप्या बताइए? हमारा वचन है जो आप मांगेगी सो वो हो जाएगा। गणेश जी के वचन सुनकर बुढ़िया बोली, हे गणराज! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आँखों में प्रकाश दें, नाती पोते दें, और समस्त परिवार को सुख दें। फिर अंत में मोक्ष दें।
बुढ़िया की बात सुनकर गणेश जी बोले बुढ़िया माँ तूने तो मुझे ठग लिया। खैर जो कुछ तूने मांग लिया वह सभी तुझे मिलेगा। यूँ कहकर गणेश जी अंतर्ध्यान हो गये। हे गणेश जी! जैसे बुढिया माँ को मांगे अनुसार आपने सब कुछ दिया वैसे ही सबको देना। और हमको भी देने की कृपा करना।
सभी दर्शकों को करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं, हम आशा करते है कि माता चौथ कि कृपा से आपके घर परिवार से सुख समृद्धि बनी रहे और करवा चौथ के व्रत से माता प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करें।
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