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देश में रंगों का काफी महत्व है. किसी भी खुशी के मौके पर रंग का इस्तेमाल जरूर होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देश में रंगों का काफी महत्व है. किसी भी खुशी के मौके पर रंग का इस्तेमाल जरूर होता है. इस रंग का इतिहास भी काफी पुराना है. वैसे तो देश में साल में एक बार होली का भी त्योहार मनाया जाता है. इसका भी काफी ऐतिहासिक महत्व है. आज आपको बताएंगे कि आखिर होली का त्योहार क्यों मनाई जाती है और इससे जुड़े हर सवाल आपको देंगे...
कैसे शुरू हुई होली
होली के इतिहास पर अगर नजर डालेंगे तो इसकी शुरुआत द्वापर में हुई थी. दरअसल, आज जहां झांसी है वहां कभी हिरण्यकश्यप नामक राक्षस का राज हुआ करता था. इसे एरच के नाम से जानते थे. घोर तपस्या के बाद हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा से अमर होने का वरदान मिल गया. इससे वह अभिमानी हो गया.
खुद को देवता मानने लगा
हिरण्यकश्यप खुद को देवता मानने लगा और उसने प्रजा को अपनी पूजा कराने से मजबूर कर दिया, लेकिन हिरण्यकश्यप की यह बात उसके ही पुत्र भक्त प्रहलाद ने नहीं मानी और उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया. वह भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने लगा. इससे हिरण्यकश्यप क्षुब्ध हो गया. उसने प्रहलाद को मारने का मारने का षडयंत्र रचना शुरू कर दिया.
उसने प्रह्लाद को हाथी से कुचलवाया, उंचे पहाड़ से बेतवा नदी में धक्का दिया, लेकिन प्रहलाद बच गए. वहीं, होलिका हिरण्यकश्यप की बहन थी. उसे वरदान था कि उसे अग्नि नहीं जला सकती. यह भी था कि जब होलिका अकेली अग्नि में प्रवेश करेगी, तभी अग्नि उसे नुकसान नहीं पहुंचायेगी.
फिर भी बच गए प्रह्लाद
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से भक्त प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश करने को कहा. वह अपने वरदान के बारे में भूल गई कि यदि किसी और के साथ जाएगी तो खुद ही जल जाएगी और हिरण्यकश्यप की बातों में आ गई. हुआ भी यही होलिका जल गई.
तब से होली के एक दिन पहले देशभर में होलिका दहन होता है और अगले दिन होली खेली जाती है. माना जाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत है. वहीं, होलिका दहन में सभी अपनी बुराइयों को जलाते हैं.
इस बार 18 को है होली
इस साल देशभर में 18 मार्च को होली मनाई जाएगी. वहीं 17 तारीख को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा. पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई इलाकों में भी होली खेली जाती है. इस दिन लोग लोकगीत भी गाते हैं और तरह-तरह के पकवान बनाते हैं.
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