धर्म-अध्यात्म

हरे कृष्ण हरे रामा को क्यों कहा जाता है महामंत्र,जाने कैसे हुई इसकी उत्पत्ति

Manish Sahu
15 Sep 2023 6:10 PM GMT
हरे कृष्ण हरे रामा को क्यों कहा जाता है महामंत्र,जाने कैसे हुई इसकी उत्पत्ति
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धर्म अध्यात्म: भगवान कृष्ण का सबसे प्रचलित और महामंत्र कहा जाने वाला मंत्र हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे. न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी लोगों के मुंह जुबानी रटा हुआ है. आज के इस आर्टिकल में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कैसे इसे महामंत्र कहा गया, कैसे इसकी उत्पत्ति हुई और उसका इतिहास क्या है?
कैसे हुई इसकी शुरुआत
पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं दुनियाभर में भगवान कृष्ण के असंख्य भक्त हैं. इन सभी के लिए एक इंटरनेशनल संगठन का निर्माण किया गया. इस्कॉन नाम दिया गया, इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस है. इस्कॉन की स्थापना न्यूयॉर्क सिटी में 1966 में की गई थी, इसके संस्थापक श्री मूर्ति अभय चरणारविन्द भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद थे. इनका जन्म 1 सितंबर 1896 को कोलकाता में हुआ था. 55 साल की उम्र में संन्यास लेकर इन्होंने हरे कृष्ण हरे रामा का प्रचार किया और 14 नवंबर 1977 को 81 वर्ष की उम्र में वृंदावन में अंतिम सांसें ली.
सबसे बड़ा इस्कॉन टेंपल
भारत के उत्तर प्रदेश के वृंदावन में इस्कॉन का सबसे बड़ा और बेहद खूबसूरत मंदिर बना है, जहां भव्य रूप में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है. दुनिया भर के सभी इस्कॉन टेंपल लगभग एक जैसे ही बने हैं. जहां भगवान कृष्ण और स्वामी प्रभुपाद की मूर्ति स्थापित है.
इस्कॉन मंदिर के मुख्य नियम
इस्कॉन मंदिर के जो भी अनुयाई हैं वे मुख्यतः चार चीजों को अपना धर्म मानते हैं. दया, सत्य, मन की शुद्धता और तपस्या.
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मुख्य रूप से 4 नियमों का पालन करते हैं.
1. इस्कॉन मंदिर के अनुयाई तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा का सेवन नहीं करते.
2. इन लोगों को अनैतिक आचरण वाली चीजों से दूर रहना होता है.
3. नियमित रूप से सभी को एक घंटा शास्त्रों का अध्ययन करना होता है. जिसमें गीता और भारतीय धर्म से जुड़े शास्त्रों के बारे में पढ़ते हैं.
4. सबसे मुख्य नियम हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे महामंत्र की 16 बार माला करनी होती है.
कैसे बना महामंत्र?
कलिसंतरणोपनिषद् मैं उल्लेख मिलता है कि भगवान ब्रह्मा से द्वापर युग के अंत में नारद मुनि ने जाकर पूछ कि मैं पृथ्वी लोक में कलि के दोषों से किस प्रकार बच सकता हूं, तब उन्होंने बताया कि भगवान आदिनारायण के नामों का उच्चारण करने से आप कलि के दोषों से बच सकते हैं. देव ऋषि नारद ने पूछा कौन सा नाम तब भगवान ब्रह्मा ने बताया हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे. इस मंत्र के जाप से मनुष्य संसार के सागर से पार हो सकता है, तभी से इस महामंत्र कहा जाने लगा.
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