धर्म-अध्यात्म

गणेश जी को क्यों पसंद हैं मोदक...जानिए

Bharti sahu
12 Sep 2021 9:43 AM GMT
गणेश जी को क्यों पसंद हैं मोदक...जानिए
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गणेश जी को विघ्नहर्ता यूं ही नही कहा जाता, दरअसल किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान या मांगलिक कार्य में कोई विघ्न या बाधा न आए

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गणेश जी को विघ्नहर्ता यूं ही नही कहा जाता, दरअसल किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान या मांगलिक कार्य में कोई विघ्न या बाधा न आए। इसलिए सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। कार्य पूर्ण होते ही गणेशजी को उनका प्रिय भोग मोदक तथा लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है। आखिर क्या है मोदक तथा क्यों पसंद है यह गणेशजी को। मोदक का अर्थ होता है आनंद देने वाला। मोदक गणेशजी के इसी व्यक्तित्व को दर्शाता है। गणेशजी मोदक खाकर खुद भी आनंदित होते हैं तथा अपने भक्तों को भी आनंदित करते हैं।

एक कथा के अनुसार गणेश पुराण में देवताओं ने अमृत से बना एक मोदक देवी पार्वती को भेंट किया। गणेशजी ने जब माता पार्वती से मोदक के गुणों के बारे में जाना तो उन्हें उसे खाने की इच्छा तीव्र हो उठी। ऐसे में उन्होंने प्रथम पूज्य बनकर मोदक प्राप्त कर लिया तथा खाकर अपार संतुष्टि प्राप्त की। कहते हैं बस तभी से मोदक गणेशजी का प्रिय हो गया।
मोदक चावल के आटे, घी, मैदा, मावा, गुड़, सूखे मेवे, नारियल आदि से बनाया जाता है। ये सारी ही सामग्री स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होती है। मोदक को अमृततुल्य जैसे शब्दों से नवाजा गया है। इसकी कथा पद्म पुराण में भी मिलती है।वैदिक मान्यताओं के अनुसार शक्ति से उत्पन्न हुए गणेशजी को यूं ही नहीं कहते है कि वे हर मुश्किल खत्म करने वाले देवता हैं। महाभारत में उनका स्वरूप तथा उपनिषदों में उनकी शक्ति को विशेष रूप से र्विणत किया गया है।अमेरिका की सिलिकान वैली में श्रीगणेशजी को साइबर स्पेस टेक्नोलाजी का देवता माना गया है। ज्ञान के इस देवता का वाहन मूषक है। चाहे साफ्टवेयर इंजीनियर हों या कंप्यूटर और लैपटाप प्रयोग करने वाला कोई अन्य शख्स लगभग सभी माउस (मूषक) का इस्तेमाल करते हैं। इसके माध्यम से ही उनके विचार और आइडिया मूर्त रूप लेते हैं।
गणेशजी की मर्तियां ईरान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, जापान इंडोनेशिया, बुल्गारिया, मैक्सिको तथा अमेरिका आदि में देखने को मिलती हैं। यूरोप के कई देशों में सफल बिजनेसमैन, लेखक, र्आिटस्ट अपने कार्यस्थल तथा घरों में गणेशजी को सर्वप्रथम मानते है। रोमन लोग भी श्रीगणेश की पूजा के साथ काम की शुरुआत करते हैं। कई देशों में तो प्रसाद भी मोदक का ही होता है। कहते हैं कि बाजीराव पेशवा ने मोदक को राजप्रसाद का दर्जा दिया था। तब मोदक को लज्जतदार बनाने के लिए गन्ने का रस तथा इत्र आदि डालकर इसे ज्यादा स्वादिष्ट बनाया जाता था


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