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दिवाली पर मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है गणेश जी की पूजा, जानें इसका रहस्य
दीपावली के पर्व में सभी लोगों के घरों में गणेश-लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, किंतु बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे, जो दोनों लोगों के एक साथ पूजन का कारण जानते हैं. गणेश जी तो माता लक्ष्मी के लिए पुत्रवत हैं तो फिर दिवाली पर उनकी पूजा क्यों की जाती है? आइए इस लेख में गणेश जी पूजा करने का कारण जानने का प्रयास करते हैं.
कार्यों को निर्विघ्न संपन्नत करते हैं गणपति
दीपावली पर हम धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं, लेकिन सब जानते हैं कि भगवान श्री गणेश विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि- सिद्धि के प्रदाता हैं, इसलिए हर शुभ कार्य के प्रारंभ में गणेश जी को प्रथम स्थान दिया जाता है. श्री गणेश को प्रथम पूज्य होने का वरदान प्राप्त है और यह वरदान स्वयं उनके पिता भोलेशंकर ने प्रदान किया था. बिना गणेश पूजन किए किसी भी देवता की पूजा प्रारंभ नहीं की जाती है और न ही उन्हें स्वीकार हो पाती है. सभी जानते हैं कि किसी भी कार्य को आरंभ करते समय उसमें विघ्नों के आने की आशंका रहती है. विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन करने के बाद विश्वास हो जाता है कि अब वह कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न हो जाएगा, इसलिए लक्ष्मी पूजन से पूर्व गणेश पूजन किया जाता है. श्री गणेश को संपूर्ण विद्या तथा बुद्धि का स्वामी भी कहा गया है. लक्ष्मी जी के साथ गणेश पूजन का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि धन के साथ बुद्धि भी सदा साथ रहे. बिना बुद्धि के केवल धन होना व्यर्थ है.
बुद्धि से ही मिलता है विवेक
धन का होना, तभी सार्थक है, जब उसका सदुपयोग किया जाए. प्रायः देखने में आता है कि धन आ जाने पर मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है, इसलिए श्री गणेश जी हमें सद्बुद्धि प्रदान करते हैं और उस सद्बुद्धि का आश्रय लेकर हम धनोपार्जन कर प्राप्त पैसों का सदुपयोग कर पाते हैं, इसलिए प्रत्येक गृहस्थ के घर में लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की भी स्थापना की जाती है.