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धर्म-अध्यात्म
तुलसी जी ने भगवान गणेश को क्यों दिया था श्राप, जानिए पौराणिक कथा
Bhumika Sahu
12 Sep 2021 3:54 AM GMT
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हम में से ज्यादातर लोग जानते हैं कि भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे का कारण क्या है. अगर नहीं तो हम बताते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गणेश चतुर्थी के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस दिन से अदगले 10 दिन तक बप्पा की पूजा अर्चना होती है. इस बार गणेश उत्सव 10 सितंबर 2021 से शुरू होकर 19 सितंबर 2021 तक रहेगा. ये 10 दिन भक्त भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि भक्ति भाव से पूजा करने से विघ्नहर्ता आपके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं.
हम सभी जानते हैं कि गणेश जी की पूजा में किन चीजों को अर्पित करना चाहिए और किन्हें वर्जित माना गया है. गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा के बारे में. अगर नहीं तो हम बताते हैं कि आखिर क्यों तुलसी का प्रयोग नहीं होता है.
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार गणपति जी समुद्र किनारे तपस्या कर रहे थे. उसी समय समुद्र किनारे धर्मात्मज कन्या तुलसी अपने विवाह के लिए यात्रा करते हुए वहां पहुची थीं. गणेश जी रत्नजड़ित सिंहासन पर बैठकर तपस्या कर रहे थे. उनके गले में चंदन समेत अन्य रत्न जड़ित हार थे जिसमें उनकी छवि बेहद मनमोहक लग रही थी. गणेश जी की मनमोहक छवि को देखकर तुलसी का मन उनकी ओर आकर्षित हो गया.
तब तुलसी ने गणेशजी को तपस्या से उठाकर विवाह का प्रस्ताव दिया. तपस्या भंग होने से गणेश जी क्रोध में आ गए. उन्होंने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया. भगवान गणेश के न कहने से तुलसी क्रोधित हो गईं और उन्होंने श्राप दिया कि उनके दो विवाह होंगे. वहीं, भगवान गणेश ने क्रोध में आकर तुलसी का विवाह राक्षस से होने का श्राप दे दिया. ये सुनकर तुलसी माफी मांगने लगीं.
तब गणेश जी ने कहा तुम्हारा विवाह शंखचूर्ण नामक राक्षस से होगा. लेकिन तुम पौधे का रूप धारण कर लोगी. उन्होंने कहा कि कलयुग में तुलसी जीवन और मोक्ष देने वाली होगी. लेकिन मेरी पूजा में तुम्हारा प्रयोग नहीं होगा. इसलिए भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं होता है. हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा सबसे पवित्र माना जाता है. इसके इस्तेमाल पूजा सामग्री में किया जाता है. भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी हैं. उनकी पूजा बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है.
Bhumika Sahu
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