धर्म-अध्यात्म

राम भक्त हनुमान जी ने क्यों फेंकी थी अपनी रामायण? जानिए कारण

jantaserishta.com
3 April 2021 5:58 AM GMT
राम भक्त हनुमान जी ने क्यों फेंकी थी अपनी रामायण? जानिए कारण
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नई दिल्ली: यह तो हम सभी जानते हैं कि सबसे पहली रामायण महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) ने लिखी थी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayan) के अलावा दुनियाभर में 24 से ज्यादा भाषाओं में 300 से अधिक रामायण लिखी जा चुकी हैं. भारत के अलावा अन्य 9 देशों की अपनी-अपनी रामायण हैं. भारत में वाल्मीकि रामायण के अलावा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस (Ramcharit Manas) सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि सबसे पहली रामायण वाल्मीकि जी ने नहीं बल्कि राम भक्त हनुमान ने लिखी थी (Lord Hanuman). पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपनी लिखी रामायण को हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दिया था. आखिर इसका क्या कारण है, यहां जानें.

क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा?
राम भक्त हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण को हनुमद रामायण (Hanumad Ramayan) के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण पर विजय प्राप्त कर भगवान राम (Lord Ram) लंका से वापस लौटे तो वे अयोध्या पर राज करने लगे और हनुमान जी, राम जी से आज्ञा लेकर हिमालय पर तपस्या करने चले गए. उन्होंने भगवान शिव की आराधना करने के दौरान शिलाओं पर भगवान राम को याद करते हुए अपने हाथ के नाखूनों से रामायण लिखी (Wrote Ramayan on stones).
हनुमद रामायण देखकर निराश हो गए थे वाल्मीकि
ऐसी मान्यता है कि एक दिन हनुमान जी यह शिला उठाकर शिवजी को दिखाने कैलाश पर्वत गए जहां कुछ समय बाद वाल्मीकि जी भी अपनी लिखी रामायण लेकर भगवान शिव (Lord Shiva) को अर्पित करने पहुंचे. वहां पर पहले से हनुमान जी द्वारा लिखी हनुमद रामायण देखकर वाल्मीकि जी निराश हो गए. हनुमान जी ने महर्षि वाल्मीकि से उनकी निराशा का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण के सामने उनकी रामायण कुछ भी नहीं है और भविष्य में उनकी रामायण की उपेक्षा हो सकती है.
हनुमान जी ने समुद्र में विसर्जित कर दी अपनी रामायण
यह सुनकर हनुमान जी ने अपने एक कंधे पर हनुमद रामायण लिखी शिला को रखा और दूसरे कंधे पर महर्षि वाल्मीकि को बिठाया और समुद्र के पास पहुंचे. यहां हनुमान जी ने अपनी लिखी रामायण की शिला को समुद्र में अर्पित कर दिया और इस तरह हनुमद रामायण हमेशा-हमेशा के लिए समुद्र में विसर्जित हो गयी.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. हम इनकी पुष्टि नहीं करते है.)


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