धर्म-अध्यात्म

प्रभु श्रीराम ने क्यों छोड़ा था इंद्र के पुत्र जयंत पर बाण? जानिए पूरी कथा

Nilmani Pal
10 Oct 2020 9:52 AM GMT
प्रभु श्रीराम ने क्यों छोड़ा था इंद्र के पुत्र जयंत पर बाण? जानिए पूरी कथा
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नारद जी ने जयंत को बताया कि अब तुम्हें केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीरामचरित मानस में तुलसीदास जी लिखते हैं कि एक बार की बात है कि जब देवराज इंद्र का मूढ़ पुत्र जयंत प्रभु श्रीराम के शक्ति की थाह वैसे ही लगाना चाह रहा था जिस प्रकार मंदबुद्धि चींटी समुद्र की थाह लगाना चाहती है ठीक उसी तरह मंदबुद्धि जयंत ने प्रभु श्रीराम के शक्ति की थाह लगाने के लिए पहले उसने एक कौए का रूप धारण किया.

इसके बाद मूढ़ जयंत ने-


सीता चरण चोंच हतिभागा | मूढ़ मंद मति कारन कागा ||

चला रूधिर रघुनायक जाना | सीक धनुष सायक संधाना ||


अर्थात वह मूढ़ मंदबुद्धि जयंत कौए के रूप में माता सीता के पैरों में चोंच मारकर भाग गया. चोंच लगने के बाद जब माता सीता के पैरों से रुधिर बहने लगा तो तो प्रभु श्रीराम ने अपने कोदंड नामक धनुष पर एक सरकंडे को चढ़ाकर संधान किया. अब जयंत अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगा. सबसे पहले जयंत अपने असली रूप को धारण कर अपने पिता इंद्र के पास गया, लेकिन जब उसके पिता ने यह जाना कि जयंत ने प्रभु श्रीराम का विरोध किया है तो उन्होंने जयंत को शरण देने से मना कर दिया. पिता के शरण न देने पर जयंत भयभीत होकर ब्रह्मलोक, शिवलोक सहित सभी लोकों में व्याकुल होकर भागता रहा लेकिन उसे किसी ने भी अपने यहां इसलिए रुकने नहीं दिया क्योंकि प्रभु श्रीराम के दोषी को कौन हाथ लगा सकता था.

नारद जी ने बताया था जयंत को उपाय: तब नारद जी ने जयंत को भयभीत और व्याकुल देखकर बताया कि अब तुम्हें केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते हैं. इसलिए अब तुम उन्हीं की शरण में जाओ. नारद जी बातों को मानकर तब जयंत ने 'हे शरणागत के हितकारी प्रभु श्रीराम, मेरी रक्षा कीजिए', कहते हुए प्रभु श्रीराम के चरणों गिरकर क्षमा मांगने लगा. इस पर दयालु प्रभु श्रीराम ने उसको क्षमा कर दिया लेकिन फिर भी जयंत रुपी कौए की एक आंख फूट गई. क्योंकि प्रभु श्रीराम के द्वारा छोड़ा गया बाण कभी निष्फल नहीं जाता है.

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