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धर्म-अध्यात्म
Hanuman जी से क्यों डरते हैं भूत-पिशाच ? यहाँ जाने पौराणिक कथा
Tara Tandi
28 Jan 2025 11:53 AM GMT
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Hanuman Katha ज्योतिष न्यूज़ : भूत-पिशाच निकट न आवे, महावीर जब नाम सुनावे... हनुमान चालीसा में आपने यह लाइन सुनी होगी। पौराणिक मान्यता है कि हनुमान जी का नाम लेने से भूत-पिशाच, प्रेत आत्मा यानी नकारात्मक शक्तियां दूर भाग जाती हैं। हनुमान भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा का भय नहीं रहता। हनुमान जी का नाम लेने भर से ही ऐसी नकारात्मकताएं दूर भाग जाती हैं। कई बार मन में सवाल आता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है, आइए विस्तार से जानते हैं इस सवाल का जवाब।
शिव के अवतार हैं हनुमान जी
हनुमान जी को भगवान शिव के 'रुद्र' रूप का ग्यारहवां अवतार माना गया है। कलियुग में हनुमान जी सबसे अधिक सक्रिय और प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित देवता हैं। हनुमान जी चिरंजीवी हैं इसलिए युगों-युगों से इस धरती पर उपस्थित हैं। हनुमान जी की भक्ति ही दुखों और संकटों से रक्षा कर सकती है। हनुमान जी दिव्य शक्तियों के साथ उनकी दयालुता के लिए भी स्मरण किया जाता है।
शिव के अवतार होने के कारण भूत-पिशाच रहते हैं दूर
भगवान शिव मनुष्य, देवता और असुर सभी पर अपनी कृपा बरसाते हैं। भगवान शिव प्रभु श्री राम के आराध्य भी हैं और रावण भी उनका परम भक्त है। ऐसे में हनुमान जी शिव का ही रूप हैं इसलिए जिस तरह संपूर्ण जीव, देव और दानव शिव जी का सम्मान करते हैं, उसी तरह हनुमान जी के सम्मान के कारण ही भूत-प्रेत उनका कहा मानते हैं और अपनी नकारात्मक शक्तियां हनुमान जी के भक्तों पर नहीं चला पाते। वहीं, जिस प्रकार शिव को क्रोध आता है, उनके अवतार हनुमान जी को भी क्रोध आता है इसलिए भूत-पिशाच उनसे घबराते हैं और उपस्थिति में ऐसा कोई काम नहीं करते जिससे कि उन्हें क्रोध आए।
हनुमान जी को मिला है वरदान
पौराणिक कहानियों के अनुसार हनुमान जी को देवताओं ने अद्भुत शक्तियां दी थीं। यम, शनि, राहु-केतु जैसी बुरी शक्तियां हनुमान जी को छू भी नहीं सकतीं। हनुमान जी के भक्त भी इनसे सुरक्षित रहते हैं। इसलिए जब भूत-प्रेत परेशान करते हैं, तो लोग हनुमान जी की शरण में जाते हैं और उन्हें कोई नकारात्मक शक्ति उन्हें या उनके भक्तों को प्रभावित नहीं कर सकती। इस वजह से लोग भूत-प्रेत जैसी समस्याओं से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करते हैं।
अष्ट सिद्धियों के दाता है हनुमान जी
हनुमान चालीसा को अष्ट सिद्धियां प्राप्त हैं। इन अष्ट सिद्धियों का नाम है अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व। इतनी सिद्धियां प्राप्त करना किसी देवता या मनुष्य के लिए संभव नहीं है। ऐसे में जाहिर-सी बात है कि असुर या पिशाच अज्ञान और नकारात्मकता के प्रतीक हैं इसलिए सिद्ध देव की सकारात्मक शक्तियों से प्रेत और असुर डरते हैं। नकारात्मकता को ज्ञान की सकारात्मकता से ही खत्म किया जा सकता है।
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