- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- क्यों जलाए जाते हैं...
धर्म-अध्यात्म
क्यों जलाए जाते हैं आटे के दिए? किसी शुभ कामना से जलाते हैं आटे के दिए जानें
Tulsi Rao
20 May 2022 12:58 PM GMT

x
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Aate ka Deepak: हिंदू वेदों में अग्नि को देवतास्वरूप माना गया है. इसीलिए हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान के सामने दीपक जलाया जाता है. दीपक ज्ञान और रोशनी का प्रतीक है. दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है. ऐसे में हमने अपने घरों में यह देखा भी होगा कि मंदिरों में आटे के दिए जलाए जाते हैं लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है इसकी जानकारी हम में से कई लोगों को नहीं होती है. तो आइए जानते हैं कि आखिर मंदिरों में आटे के दिए क्यों जलाए जाते हैं साथ ही इससे जुड़ी कुछ अन्य बातें...
क्यों जलाए जाते हैं आटे के दिए?
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि आटे के दिए का इस्तेमाल किसी बड़ी कामना को पूरा करने के लिए किया जाता है. ऐसे में जब भी कोई मन्नत मांगता है तो आटे के दिए का ही इस्तेमाल करता है. मिट्टी के दियों को अन्य दियों की तुलना में बेहद शुभ और पवित्र माना गया है. इससे मां अन्नपूर्णा का आशीष बना रहता है.
तांत्रिक के कामों में जलाते हैं आटे के दिए
कहा तो यह भी जाता है कि अगर जातक मां दुर्गा, भगवान हनुमान, श्री गणेश, भोलेनाथ शंकर, भगवान विष्णु, भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम और श्री कृष्ण सभी के मंदिरों में आटे के दिए जलाते हैं तो कामना पूरी होती है. इसके अलावा तांत्रिक क्रियाओं में भी आटे के दिए जलाए जाते हैं.
किसी शुभ कामना से जलाते हैं आटे के दिए
लोग कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति आदि कई तरह के संकटों के निवारण के लिए भी आटे का दिया जलाते हैं. आटे के दिए जब भी जलाए जाते हैं तो इन्हें घटती और बढ़ती संख्या में ही लगाया जाता है. उदाहरण के तौर पर: एक दीप से शुरुआत कर उसे 11 तक ले जाया जाता है. इसके बाद घटते क्रम में दीप लगाए जाते हैं.
आटे के दिया बनाते समय यह जरूर करें
आटे का दिया बनाने के लिए उसमें हल्दी मिलाकर गुंथा जाता है. इसमें घी या तेल डालकर बत्ती जलाई जाती है. जब आपकी मन्नत पूरी हो जाए तो सभी मन्नत के दिए मंदिर में लगाए जाते हैं. कई बार होता है कि दीप की संख्या पूरी होने से पहले ही कामना पूरी हो जाती है. अगर ऐसा हो तो क्रम को खंडित न करें. संकल्प में माने गए दीप पूरे जलाएं. हर दीप के साथ कामना जरूर बोलें.
Next Story