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धर्म-अध्यात्म
कौआ, गाय और कुत्ते को पितृपक्ष में क्यों खिलाया जाता है भोजन, जाने महत्त्व
Manish Sahu
4 Oct 2023 10:03 AM GMT
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धर्म अध्यात्म: पितृपक्ष में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का महत्व है. इसके साथ ही पितृपक्ष के 15 दिनों में कौआ, गाय और कुत्ते को भोजन भी कराया जाता है. अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर पितृपक्ष में इन्हें भोजन क्यों कराते है और इसके पीछे क्या धार्मिक महत्व है. आपके मन में भी ऐसे सवाल है, तो आज ही अपने सारे सवालों के सही जवाव जान लीजिए.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि कौआ यम का प्रतीक है और इसे पितरों का स्वरूप भी मानते हैं. इसलिए श्राद्ध का एक अंश इन्हें भी भोजन के रूप में समर्पित किया जाता है. मान्यता है कि कौआ यदि भोजन से मुंह मोड़ ले तो समझिए पितर नाराज है.
गाय में है देवी देवताओं का वास
कौआ के अलावा गाय को भोजन कराने को लेकर ये मान्यता है कि इससे पीटर तृप्त होते है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय देवी देवताओं का प्रतीक है. कहा जाता है कि गाय में सभी देवी देवता वास करते है.यही वजह है कि पितृपक्ष में गाय को भी भोजन कराया जाता है.
तो इसलिए कुत्तों को देते है भोजन
इससे इतर कुत्ते को यम का प्रतीक है और काल भैरव की सवारी.इसलिए श्राद्ध के बाद यज़ दोनों की कृपा पाने के लिए कुत्ते को भी भोजन कराया जाता है. इसे कुक्कर बलि भी कहते है. कथाओं के अनुसार यमराज के मार्ग का अनुसरण करने वाले दो कुत्ते है जिनका नाम श्याम और सबल है. इन्ही दोनो कुत्तों को स्मरण करके पितृपक्ष में उन्हें भोजन देना चाहिए.
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Manish Sahu
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