धर्म-अध्यात्म

कौन थे महावीर स्वामी

Apurva Srivastav
3 April 2023 4:47 PM GMT
कौन थे महावीर स्वामी
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जैन समाज में महावीर जयंती (Mahaveer Jayanti 2023) का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन जैन समाज के लोग सुबह से ही विधि विधान से भगवान महावीर की पूजा-अर्चना करते हैं और बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ महावीर जयंती मनाते हैं. महावीर जयंती चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन मनाई जाती है. आपको बता दें कि जैन समाज के सभी त्योहार (Mahavir Jayanti 2023) दिन में मनाने की परंपरा है. इस वर्ष, चार अप्रैल को पहली तेरस की उदिया तिथि मानी जा रही है. यही वजह है कि 4 अप्रैल को यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. ऐसे में आज हम बात करने वाले हैं महावीर स्वामी (Mahaveer Jayanti 2023) जी और उनसे जुड़ी खास बातों के बारे में.
कौन थे महावीर स्वामी?
जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीआदिनाथ की परंपरा में अनेक तीर्थंकर हुए. इनमें से चौबीसवें तीर्थंकर का नाम महावीर स्वामी था. गौरतलब है कि महावीर स्वामी एक क्षत्रिय राजकुमार थे. इन्होंने जैन धर्म की शिक्षाओं को आत्मसात कर इसे आगे बढ़ाने का कार्य किया. आपको बता दें कि महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था. यह लिच्छवी कुल के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के पुत्र थे. इन्होंने तपस्या द्वारा अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त की, इसीलिए इन्हें महावीर की उपाधि दी गई. इन्होंने ही जिओ और जीने दो का संदेश मानव समाज को दिया. महावीर स्वामी के उपदेश आज भी मानव जीवन के कल्याण में अहम भूमिका निभा रहे हैं.
1- अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है अत: हमें ‘जियो और जीने दो’ के संदेश पर कायम रहना चाहिए.
2- प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है, आनंद बाहर से नहीं आता.
3- शांति और आत्मनियंत्रण ही सही मायने में अहिंसा है.
4- हर जीवित प्राणी के प्रति दयाभाव ही अहिंसा है, घृणा से मनुष्य का विनाश होता है.
5- सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान का भाव ही अहिंसा है.
6- सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से ही दुखी होते हैं और वे खुद अपनी गलती सुधारकर प्रसन्न रह सकते हैं
7- महावीर कहते हैं कि खुद पर विजय प्राप्त करना, लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से कहीं ज्यादा बेहतर है
8- आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु अपने भीतर रहते हैं. वे शत्रु हैं- लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड और आसक्ति और नफरत. हमें उनपर विजय पानी चाहिए.
9- आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है
10- महावीर हमें स्वयं से लड़ने की प्रेरणा देते हैं. वे कहते हैं- स्वयं से लड़ो, बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना? जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी
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