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रामायण के कई ऐसे रहस्य हैं, जिससे हम आज भी अंजान हैं। जिसकी कल्पना करना भी हमारे लिए मुश्किल है। रामायण एक सागर की तरह है। जिसमें डुबकी लगाने पर भी इसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। रामायण की घटनाओं का अलग-अलग तरीके से व्याख्या किया गया है। रामायण के कुछ विशेष पात्र ऐसे भी हैं, जिनके बारे में विस्तार से बताया गया है, लेकिन कुछ पात्र ऐसे भी शामिल हैं, जिसकी चर्चा मुश्किल से कहीं सुनने को मिलती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं, लक्ष्मण की पत्नी देवी उर्मिला की कहानी के बारे में। जिन्होंने अपना पूरा जीवन त्याग, सेवा, प्रेम और नि:स्वार्थ भक्ति में समर्पित कर दिया।
रामायण में देवी उर्मिला को एक साधारण महिला की भांति दिखाया गया है। जबकि देवी उर्मिला का त्याग और समर्पण अनमोल था। देवी उर्मिला ने जो भी दुख सहे। उस पर उन्होंने कभी आंसू नहीं बहाया।
पढ़ें त्याग और समर्पण की देवी उर्मिला की कहानी उर्मिला राजा जनक की पुत्री और महाराज दशरथ की पुत्रवधू के साथ-साथ माता सीता की छोटी बहन थी। उनका विवाह भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण के साथ हुआ था। श्रीराम के वनवास जाने के समय उर्मिला भी एक पतिव्रता स्त्री की तरह अपने पति लक्ष्मण जी के साथ जाना चाहती थी, लेकिन लक्ष्मण ने उन्हें ले जाने से इंकार कर दिया। उर्मिला ने बहुत मिन्नतें भी की, कि वह अपने पति की सेवा करना चाहती हैं। पति के हर दुख-सुख की साथी बनना चाहती हैं, पर लक्ष्मण ने कर्तव्य और धर्म की दुहाई देते हुए देवी उर्मिला को वन में जाने से रोक दिया। लक्ष्मण जी ने कहा कि मैं अपने भ्राता श्रीराम (श्रीराम मंत्र) और भाभी सीता की सेवा करने के लिए जा रहा हूं। मैं नहीं चाहता हूं कि सेवा में कोई भी कमी रहे। इसलिए देवी उर्मिला आप यहीं रहो।
लक्ष्मण जी ने मां-बाप की सेवा करने के लिए उर्मिला को अयोध्या ही रहने के लिए बोला। उन्हें शायद पता था कि वे लोग जब वनवास जाएंगे, तो उनके माता -पिता को इसका गहरा सदमा लगेग। इसलिए लक्ष्मण जी मां-बाप को सहारा और सहानुभूति देने के लिए उर्मिला को छोड़कर वनवास चले गए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि किसी भी स्त्री के लिए विवाह, उसके पूर्ण होने की निशानी मानी जाती है। देवी उर्मिला अपने पति से पूरे 14 साल अलग रहीं। यह सबसे बड़ा त्याग और समर्पण को दर्शाता है।
देवी उर्मिला ने कुल 14 वर्षों तक अपने पति के वियोग में जीवन बताया। यह उर्मिला का अखंड पतिव्रता धर्म को दर्शाया है। उन्होंने कभी किसी की तरफ देखा तक नहींष उर्मिला के महान चरित्र, अखंड पतिव्रता, स्नेह और त्याग की चर्च रामायण में जितनी होनी चाहिए थी, उतनी नहीं हुई। उर्मिला ऐसी स्थिति में थी कि वह रो भी नहीं सकती थी। अगर वह खुद दुख में डूबी रहती, तो अपने परिजनों का ख्याल कैसे रखती? इसलिए देवी उर्मिला को त्याग और समर्पण का प्रतीक हैं।
देवी उर्मिला ने की निद्रा देवी से विनती?
लक्ष्मण जी ने जब निद्रा देवी से विनती की थी कि उनके हिस्से की निद्रा उनकी पत्नी उर्मिला को दे दिया जाए। ऐसा कहा जाता है कि निद्रा देवी के इस वरदान से लक्ष्मण की पत्नी देवी उर्मिला लगातार 14 साल तक सोती रही और लक्ष्मण जी जागते रहे। ऐसा कहा जाता है कि देवी उर्मिला ने 14 साल तक एक-एक दीपक जलाया था और कहा था कि मेरे नाथ के सासों को कभी बुझने मत देना। इसके बाद भगवान श्रीराम (श्रीराम पूजा) , माता सीता और लक्ष्मण जी 14 साल के लिए वन में वास करने के लिए चले गए। उनके पीछे देवी उर्मिला एक तपस्वी की भांति अपना जीवन व्यतीत किया।
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Sanjna Verma
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