धर्म-अध्यात्म

विदेश में है रहते हुए अधिक मास की अमावस्या पर इस विधि से करें तर्पण, नाराज पितर होंगे प्रसन्न

SANTOSI TANDI
15 Aug 2023 12:08 PM GMT
विदेश में है रहते हुए अधिक मास की अमावस्या पर इस विधि से करें तर्पण, नाराज पितर होंगे प्रसन्न
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नाराज पितर होंगे प्रसन्न
हिंदू धर्म में किसी भी अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए विशेष होती है और उसमें श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। यदि आप अमावस्या के दिन दान-पुण्य करते हैं, पितरों के नाम का भोजन निकालते हैं या पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो आपके जीवन के लिए बहुत लाभदायक फल मिलते हैं।
ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन तर्पण जरूर करना चाहिए जिससे पितरों को शांति मिले। इन्हीं अमावस्या तिथियों में से ख़ास है अधिक मास की अमावस्या तिथि। इस दिन विशेष रूप से पितरों के लिए कुछ काम करने से उन्हें मुक्ति मिलती है और आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
यदि आप विदेश में रहते हैं तब भी आसान विधि से तर्पण करके नाराज पितरों को प्रसन्न कर सकती हैं। आइए ज्योतिषाचार्य डॉ आरती दहिया जी से जानें तर्पण की सही विधि।
अधिक मास की अमावस्या तिथि क्यों है ख़ास
यदि हम ज्योतिष की मानें तो अधिक मास की अमावस्या तिथि बहुत ख़ास होती है क्योंकि ये तीन साल में एक बार होती है। ऐसे में यदि आप इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय आजमाती हैं तो सुख समृद्धि बनी रहती है।
वहीं शास्त्रों में अमावस्या के दिन तर्पण करने को भी ख़ास बताया जाता है और इस दिन पितरों के नाम का दीपक जलाना घर की समृद्धि के लिए अच्छा माना जाता है। इसके सकत ही, अधिक मास का पूरा जिम्मा श्री हरि विष्णु को दिया जाता है।
चूंकि विष्णु जी को मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है, इसलिए इस दिन पितरों के मोक्ष की कामना की जाती है। अधिक मास अमावस्या पर पितरों के निमित्त पूजा-पाठ, दान आदि करके उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है।
या जाता है तर्पण
ऐसा माना जाता है कि किसी भी अमावस्या तिथि के दिन यदि आप पर कुछ खास नियमों का पालन करते हुए जल से तर्पण करते हुए पूर्वजों का नाम लेते हैं और उनकी शांति की प्रार्थना करते हैं तो आपको समस्त परेशानियों से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है और पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन किए गए दान, व्रत और तप से भी कई गुना फल मिलता है. मुख्य रूप से ये दिन पितरों को समर्पित होता है और उनकी मुक्ति के उपाय किए जाते हैं।
अधिक मास अमावस्या पर कैसे करें तर्पण
यदि आप अधिक मास की अमावस्या तिथि के दिन तर्पण कर रहे हैं तो प्रातः जल्दी उठें और दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि आप विदेश में हैं तो नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालें और उस पानी से स्नान करें।
साफ़ वस्त्र धारण करें और किसी साफ़ बर्तन में पितरों के तर्पण के लिए पानी, गंगाजल, काला तिल, कच्चा दूध, जौ, सफेद फूल आदि सामग्रियां लें। यदि आपके पास ये सामग्रियां नहीं हैं तो आप विदेश में केवल जल और गंगाजल का ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
जल से तर्पण करने के लिए दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके बैठ जाएं और पीतल के बर्तन में पानी लें और दोनों हाथों से अनुजुली बनाकर पानी से तर्पण करें। पानी में काला तिल, कच्चा दूध भी डालें और पितरों की शांति की कामना करते हुए तर्पण करें।
विदेश में मृत पूर्वजों का स्मरण करते है उनकी शांति की कामना करें और तीन बार तस्मै सुधा कहते हुए पितरों की शांति की कामना करें।
पूजन के बाद आप इस जल को किसी पेड़ के नीचे या फिर घर के गार्डन में डालें।
अधिक मास अमवस्या पर करें ये विशेष उपाय
यदि आप विदेश में रहते हैं तो अधिक मास की अमावस्या तिथि के दिन पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करें। इससे आपके घर को पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है और सुख समृद्धि बनी रहती है।
इस दिन घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पितरों की शांति की प्रार्थना करें। आप इस दिन मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक का निशान बनाएं। इससे आपके घर में खुशहाली बनी रहेगी।
अमावस्या तिथि के दिन घर के मंदिर में भी दीपक जरूर जलाएं और एक दीपक दक्षिण दिशा में जलाएं क्योंकि ये पितरों की दिशा मानी जाती है।
इस दिन किसी गरीब को भोजन कराएं और यदि संभव हो तो किसी जरूरतमंद को आवश्यकता की चीजें दान में दें, इससे पितरों को शांति मिलती है और नाराज पितर भी प्रसन्न हो सकते हैं।
अधिक मास की अमावस्या के दिन आप यदि संभव हो तो पीपल के वृक्ष में जल जरूर चढ़ाएं।
यदि आप अधिक मास की अमावस्या के दिन यहां बताए उपाय आजमाते हैं तो पितृ दोषों से मुक्ति के साथ घर में शांति बनी रहती है।
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