धर्म-अध्यात्म

जहां होती है रोज आरती वहां रहता प्रभु का वास; थाली में सजाएं ये चीजें

Subhi
2 Nov 2022 2:45 AM GMT
जहां होती है रोज आरती वहां रहता प्रभु का वास; थाली में सजाएं ये चीजें
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तहां हरि बासा करें, जोत अनंत जगाय अर्थात जिस घर में प्रभु के चरण कमलों का ध्यान रखते हुए अर्थात पूरी आस्था और श्रद्धा भाव के साथ आरती या अर्चन होता है, वहां प्रभु का वास होता है.

तहां हरि बासा करें, जोत अनंत जगाय अर्थात जिस घर में प्रभु के चरण कमलों का ध्यान रखते हुए अर्थात पूरी आस्था और श्रद्धा भाव के साथ आरती या अर्चन होता है, वहां प्रभु का वास होता है. शास्त्रों में भक्ति को श्रेष्ठ माना गया है जिसमें आरती श्रवण, कीर्तन, पाद सेवन, अर्चन एवं वंदन आदि के बाद की जाती है. आरती को अरार्तिक या निराजन भी कहते हैं. आरती शब्द बहुत ही प्राचीन है. किसी भी देवता के पूजन से संबंधित स्थलों पर हम आरती का अवश्य दर्शन करते हैं.

पूजा में हुई गलती के लिए मांगी जाती है क्षमा याचना

शास्त्रों में कहा गया है कि जिस देवता की आरती करते हैं, उस देवता का बीज मंत्र, स्नान थाली,नीराजल थाली, घण्टिका और जल कमंडलु आदि पात्रों पर चंदन आदि से लिखना चाहिए और फिर आरती द्वारा भी उस बीज मंत्र को देव प्रतिमा के सामने बनाना चाहिए. पूजा के आखिरी में आरती की जाती है. पूजन में जो गलती रह जाती है उसकी क्षमा याचना या उसकी पूर्ति के लिए आरती की जाती है. यदि कोई मंत्र नहीं जानता है और पूजा की विधि भी नहीं जानता है लेकिन भगवान की आरती कहीं हो रही हो तो उसे वहां पर खड़े होकर भक्ति भाव के साथ श्रवण करना चाहिए.

कैसे करें आरती

यदि कोई व्यक्ति देवताओं के बीज मंत्रों का ज्ञान न रखता हो तो सभी देवताओं के लिए 'ऊं' को लिखना चाहिए अर्थात आरती को ऐसे घुमाना चाहिए, जिससे कि 'ऊं' वर्ण की आकृति बन जाए. किसी भी पूजा पाठ, यज्ञ, अनुष्ठान के अंत में देवी-देवताओं की आरती की जाती है. आरती का समय सुबह और शाम का होना चाहिए. शाम को भी आरती करने की आदत बनानी चाहिए, इससे स्ट्रेस दूर करने में मदद मिलती है.

आरती के थाल में फूल और कुमकुम जरूर रखें

कपूर या घी के दीपक से ही ज्योति प्रज्वलित की जा सकती है. इसके साथ पूजा के फूल और कुमकुम भी जरूर रखें. आरती करते समय सबसे पहले ध्यान रखें कि चरणों की चार बार, नाभि की दो बार, मुख की एक बार आरती करने के बाद फिर से सभी अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए. जल को भगवान के चारों तरफ घुमाकर उनके चरणों में निवेदन करना चाहिए. आरती करने के बाद थाल में रखे हुए पुष्प को समर्पित करना चाहिए और कुमकुम का तिलक लगाना चाहिए. एक बात और ध्यान रखें कि आरती लेने वाले को थाल में कुछ दक्षिणा अवश्य रखनी चाहिए.


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