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धर्म-अध्यात्म
जहां सत्य वहां जरूर होगी लक्ष्मी और कीर्ति, जानें राजा सत्यदेव की कथा
Kiran
11 Jun 2023 11:10 AM GMT
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अक्सर देखा जाता हैं कि इंसान धन और मान-सम्मान के पीछे भागता रहता और इसके लिए वह सत्य का साथ भी छोड़ देता हैं। ऐसे में उसके जीवन में धन और मान-सम्मान कुछ समय के लिए ही रहता हैं। क्योंकि जहां सत्य का वास हो वहां लक्ष्मी और कीर्ति अपनेआप चले आते हैं। आज हम आपको राजा सत्यदेव की कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस बात को सार्थक करती हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
एक दिन राजा सत्यदेव अपने महल के दरवाजे पर बैठे थे तभी एक स्त्री उनके घर से उनके सामने से गुजरी। राजा ने पूछा, 'देवी! आप कौन है और इस समय कहां जा रही हैं?' उसने उत्तर दिया, 'मैं लक्ष्मी हूं और यहां से जा रही हूं।' राजा ने कहा, 'ठीक है, शौक से जाइए।' कुछ देर बाद एक अन्य नारी उसी रास्ते से जाती दिखाई दी। राजा ने उससे भी पूछा, 'देवी! आप कौन है?' उसने उत्तर दिया, 'मैं कीर्ति हूं और यहां से जा रही हूं।' राजा ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, 'जैसी आपकी इच्छा।'
थोड़ी देर के बाद एक पुरुष भी उनके सामने से होकर जाने लगा। राजा ने, उससे भी प्रश्न पूछा, 'आप कौन हैं?' पुरुष ने उत्तर दिया, 'मैं सत्य हूं। मैं भी अब यहां से जा रहा हूं।' राजा ने तुरंत ही उसके पैर पकड़ लिए और प्रार्थना करने लगा कि 'कृपया आप तो न जाएं?' राजा सत्यदेव के बहुत विनती करने पर सत्य मान गया और न जाने का आश्वासन दिया। कुछ देर के बाद राजा सत्यदेव ने देखा कि लक्ष्मी एवं कीर्ति दोनों ही वापस लौट रही हैं। राजा सत्यदेव ने पूछा, 'आप कैसे लौट आईं?' दोनों देवियों ने कहा, 'हम उस स्थल से दूर नहीं जा सकतीं, जहां पर सत्य रहता है।'
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