धर्म-अध्यात्म

घर के भीतर और बाहर कहां होना चाहिए मंदिर, जानें इसका सही आकार और वास्तु नियम

SANTOSI TANDI
10 Aug 2023 8:18 AM GMT
घर के भीतर और बाहर कहां होना चाहिए मंदिर, जानें इसका सही आकार और वास्तु नियम
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जानें इसका सही आकार और वास्तु नियम
ईश्वर पर आस्था रखने वालों की अक्सर ख्वाहिश होती है कि वह अपने घर के किसी एक कोने में अपने आराध्य देवी-देवता का एक ऐसा मंदिर जरूर बनाएं, जहां पर जाने पर उन्हें असीम शांति और सुख का अनुभव हो, लेकिन ऐसा करते समय अक्सर लोगों के मन में कई तरह के सवाल आते हैं. मसलन, मंदिर को बनाने के लिए कौन सी दिशा सही रहेगी? मंदिर किस आकार का होना चाहिए? मंदिर में क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए? यदि आपके मन में भी आस्था से जुड़े मंदिर को लेकर कुछ ऐसे ही सवाल हैं तो उससे जुड़े जवाब जानने के लिए इस लेख को विस्तार से पढ़ें.
यदि आप अपने फ्लैट में आस्था से जुड़ा मंदिर बनाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए सबसे पहले उसके ईशान कोण का हिस्सा चुनना चाहिए। यदि किसी कारण ऐसा न संभव हो पाए तो आप जिस किसी कमरे में अपना मंदिर बनाने जा रहे हैं उसका ईशान कोण का कोना चुनना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि मंदिर को बाथरूम के बगल फिर किचन में नहीं बनाना चाहिए।
यदि जगह की कमी के चलते आपको अपने फ्लैट में अपने बेडरूम में ही मंदिर बनाना पड़ जाए तो आपको इसे ईशान कोण में बनाएं और वास्तु दोष से बचने के लिए रात को सोते समय इसे परदे से जरूर ढंक दें.
वास्तु के अनुसार मंदिर को कभी भी घर के किचन, बीम या सीढ़ी के नीचे, बाथरूम के बगल या फिर घर के प्रवेश द्वार के ठीक सामने नहीं बनवाना चाहिए।
वास्तु के अनुसार ईशान कोण में मंदिर बनवाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि जब कभी भी वहां पर कोई बैठकर पूजा करे तो उसका मुंह दक्षिण दिशा की ओर न होकर बल्कि उत्तर या पूर्व दिशा की ओर रहे.
वास्तु के अनुसार घर में बनवाने वाले मंदिर को हमेशा हल्के या फिर शुभ रंग से रंगवाना चाहिए। मंदिर को काले- डार्क भूरे रंग से कलर करवाने से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार मंदिर के लिए पीला, नारंगी, क्रीम कलर शुभ होता है.
वास्तु के अनुसार यदि आप अपने घर के बाहर कोई बड़ा मंदिर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको हमेशा शुभ स्थान का चयन करना चाहिए। वास्तु के अनुसार किसी तालाब, नदी, झरना, समुद्र आदि के पास मंदिर का निर्माण करना बेहद शुभ होता है. हालांकि इसके साथ दिशा का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए और जिस प्लाट पर आप मंदिर बनवा रहे हैं, उसकी उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण की भूमि का ही चयन करना चाहिए।
वास्तु के अनुसार घर के बाहर बनाए जाने वाले मंदिर की जमीन आयताकार और उसका आकार पिरामिडनुमा रखें. यदि आप मंदिर के पास कोई जलकुंड या सरोवर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए उत्तर या पूर्व दिशा में बनाएं. वास्तु के अनुसार मंदिर का प्रवेश द्वार हमेशा पूर्व दिशा की ओर बनवाना चाहिए। वास्तु के अनुसार यह द्वार हमेशा मंदिर के अन्य द्वार की अपेक्षा बड़ा होना चाहिए
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