धर्म-अध्यात्म

हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा की कहां-कहां होती है पूजा

Manish Sahu
12 Aug 2023 1:42 PM GMT
हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा की कहां-कहां होती है पूजा
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धर्म अध्यात्म: एक छंद है ‘लाल देह लाली लसे अरु धरी लाल लंगूर, बज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर’, जिसका अर्थ है, ‘हे हनुमान जी! आपका शरीर, आपकी पूंछ, और आपके वस्‍त्र लाल हैं. आपने लाल सिंदूर भी धारण किया हुआ है. आपका शरीर वज्र जैसा कठोर है और आप दुष्टों का नाश कर देते हैं.’ इस छंद से साफ है कि हनुमान जी नख से शिखा तक लाल रंग ही धारण करते हैं. आप अगर हनुमान जी के मंदिर में जाते होंगे तो आपको सभी मंदिरों में उनकी प्रतिमा लाल या केसरिया रंग की ही मिलती होगी. लेकिन, क्‍या आपने कभी काले रंग के हनुमान जी को देखा है?
चौंकिए मत! देश में कुछ जगहों पर हनुमान जी की काले रंग की प्रतिमा भी स्‍थापित है. जानते हैं कि ये काले पत्‍थर से बनी हुनमान जी की प्रतिमाएं कहां-कहां हैं और उनके काले होने के पीछे की पौराणिक कथा क्‍या है? सबसे पहले तेलंगाना में निजामाबाद के गाजुलपेट में बुरुद गली में ‘श्री नल्‍ला हनुमान मंदिरम’ (श्री काला हनुमान मंदिर) के बारे में जानते हैं. इस मंदिर में हर दिन सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु काले हनुमान जी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर में हनुमान जी की काले रंग के बहुमूल्‍य पत्‍थर से बनी प्रतिमा की स्‍थाना 1836 में की गई थी. इसके अलावा उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली में भी काले हनुमान जी की पूजा होती है.
निजामाबाद में कैसे स्‍थापित हुई मूर्ति
श्री नल्‍ला हनुमान मंदिरम में काले पत्‍थर से बनी हनुमान प्रतिमा स्‍थापित करने के पीछे एक कहानी बताई जाती है. बताया जाता है कि उस समय यह क्षेत्र घने जंगल का हिस्सा था. एक दिन मूर्ति के निर्माता मूर्ति को संत शिरोमणि मठ में स्थापित करने के लिए बैलगाड़ी पर ले जा रहे थे. अचानक बैलगाड़ी इस जगह पर रुक गई. उन्होंने बैलगाड़ी को हटाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वो जरा सी भी नहीं खिसकी. रात होने पर वे मूर्ति समेत गाड़ी इसी जगह छोड़कर घर चले गये. उसी रात भगवान हनुमान ने संत शिरोमणि सद्गुरु महाराज स्वामी को सपने में दर्शन कहा कि मूर्ति को गाड़ी रुकने की पश्चिम दिशा में स्थापित कर दें. उन्‍होंने 1836 में घने जंगल में बताए गए स्थान पर काले पत्थर से बनी हनुमान की मूर्ति स्थापित कर दी.
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तेल से अभिषेक और चंदन का लेप
काले रंग के हनुमान जी के अलावा मंदिर में भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति के सामने एक दूसरी मूर्ति भी स्थापित की गई. अब यह क्षेत्र निजामाबाद शहर का केंद्र बन गया है. पुजारी यहां नियमित रूप से हनुमान जी की मूर्ति का तेल से अभिषेक करते हैं. इसके बाद श्री नल्ला हनुमान को चंदन के लेप से सजाते हैं. कहा जाता है कि मंदिर में अगर कोई श्री नल्‍ला हनुमान जी की 108 परिक्रमा कर ले तो उसके मन को शांति प्राप्‍त हो सकती है. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु अपनी रक्षा और अपने बिगड़े काम बनाने की इच्‍छा लेकर पहुंचते हैं.
जयपुर में हैं दो काले हुनमान मंदिर
निजामाबाद के अलावा राजस्थान के जयपुर में भी हनुमान जी की काले रंग की दो मूर्तियां हैं. इनमें एक मूर्ति चांदी की टकसाल में तो दूसरी जलमहल के पास है. कहा जाता है कि आमेर के राजा जयसिंह ने रक्षक के रूप में जयपुर के सांगानेरी गेट के अंदर काले हनुमान जी की पूर्व दिशा की ओर मुख वाली प्रतिमा की स्थापना कराई थी. जयपुर का ये मंदिर काफी मनमोहक है. बाहर से ये मंदिर किसी महल की ही तरह दिखता है. मंदिर में हनुमान जी के अलावा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित कराई गई हैं.
उत्‍तर प्रदेश के रायबरेली में काले हनुमान जी के मंदिर में भंडारा कराने के लिए वेटिंग चलती है.
काले हनुमान जी के पीछे की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब हनुमान जी की शिक्षा पूरी हुई तो उन्होंने अपने गुरु सूर्यदेव से दक्षिणा मांगने की बात की. सूर्यदेव ने कहा कि उनका बेटा शनिदेव उनकी बात नहीं मानता है. गुरु दक्षिणा में वह शनिदेव को उनके पास ले आएं. हनुमान जी शनिदेव के पास गए, लेकिन शनिदेव ने जैसे ही उन्हें देखा तो क्रोधित हो गए. उन्‍होंने हनुमान जी पर अपनी कुदृष्टि डाल दी, जिससे उनका रंग काला पड़ गया. फिर भी हनुमान जी शनिदेव को सूर्यदेव के पास ले आए. ऐसे में हनुमान जी की गुरुभक्ति से प्रभावित होकर शनिदेव ने उन्हें वचन दिया कि अगर कोई शनिवार को हनुमान जी की उपासना करेगा तो उस पर उनकी वक्रदृष्टि का असर नहीं होगा.
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