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फाल्गुन माह की कृष्ण अष्टमी को माता सीता की जयंती मनाई जाती है। देश या दुनियाभर में जहां पर भी श्रीराम का मंदिर है वहां पर माता सीता भी विराजमान हैं, लेकिन माता सीता के कुछ खास ऐसे मंदिर भी है जो कि उनके जीवन से जुड़ें हैं या जिनकी लोकप्रसिद्ध अधिक है।
माता सीता को भूमिदेवी की पुत्री भी कहा जाता है और जनकनंदनी भी।
उल्लेखनीय है कि गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारतीय राज्यों में अमान्त चन्द्र कैलेण्डर के अनुसार, जानकी जयंती माघ माह में मनायी जाती है।
1. जानकी मंदिर, नेपाल : रामायण काल में मिथिला के राजा जनक थे। उनकी राजधानी का नाम जनकपुर है। जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यहां जानकी माता मंदिर का निर्माण कराया भारत के टीकमगढ़ की महारानी वृषभानु कुमारी ने। पुत्र प्राप्ति की कामना से महारानी वृषभानु कुमारी यहां रहती थीं। यहां रहने के दौरान एक संत को माता सीता की एक मूर्ति मिली थी, जो सोने की थी। महारानी ने 1895 ईस्वी में जानकी मंदिर का निर्माण करवाया। उन्होंने ही यहां मूर्ति को स्थापित किया था। जानकी मंदिर साल 1911 में बनकर तैयार हुआ था।
करीब 4860 वर्ग फीट में फैले इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि उस समय इसके निर्माण पर कुल नौ लाख रुपए खर्च हुए थे, इसलिए इस मंदिर को नौलखा मंदिर भी कहते हैं। इस मंदिर में वर्ष 1967 से लगातार यहां सीता-राम नाम का जाप और अखंड कीर्तन चल रहा है। इस मंदिर को जनकपुरधाम भी कहा जाता है। मंदिर के विशाल परिसर के आसपास कुल मिलाकर 115 सरोवर हैं। इसके अलावा कई कुण्ड भी हैं, जिनमें गंगासागर, परशुराम कुण्ड एवं धनुष-सागर अधिक प्रसिद्ध हैं।
2. अयोध्या में सीता मंदिर : अयोध्या के सीतामड़ी में भी माता सीता का एक प्राचीन मंदिर है जिसें अब भव्य स्वरूप दिया जा रहा है, जहां माता सीता मैया अपने नौ विग्रह स्वरूप में दिखेंगी।
3. वाराणसी में सीता मंदिर : यहां का दो मंजिला मंदिर बारिश के मौसम में चारों ओर पानी से घिरा रहता है। कहते हैं कि देवी सीता यहीं से धरती में समा गई थी। यह मंदिर जगन्नाथ अस्सीघाट के पास स्थित है। 17वीं सदी में निर्मित हुए इस मंदिर में आषाढ़ माह में रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।
4. सीता मंदिर, अशोकनगर : मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली तहसील के करीला गांव में माता सीता का एकमात्र ऐसा मंदिर हैं जहां पर सिर्फ उन्हीं की मूर्ति विराजमान हैं। मान्यता के अनुसार यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था।
5. सीताहरण का स्थान सर्वतीर्थ, नासिक : नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में 'सर्वतीर्थ' नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है। यह स्थान पंचवटी क्षेत्र में आता हैं। यहां पर सीता माता के कई मंदिर है।
6. पुनौरा मंदिर, सीतामढ़ी : मान्यता के अनुसार बिहार में सीतामढ़ी जिले के पुनौरा नामक स्थान को माता सीता की जन्म स्थली माना जाता है। यहां एक खेत में राजा जनक को माता सीता मिली थी।
7. सीता रसोई, अयोध्या : अयोध्या में स्थित यह मंदिर श्रीराम जन्मभूमि के करीब स्थित है। शुगन के तौर पर पहली बार माता सीता ने यहां पर सभी के लिए भोजन बनाया था।
8. अशोक वाटिका, श्रीलंका : रावण ने माता सीता को जहां पर बंदी बनाकर रखा था उस स्थान का नाम अशोक वाटिका है। यहां पर अशोक के वृक्ष बहुतायत पाए जाते हैं। यह स्थान श्रीलंका में है।
9. सीतावनी, जिम कॉर्बेट पार्क नैनिताल : मान्यता के अनुसार नैनिताल के जिम कॉर्बेट पार्क में स्थित सीतावनी नामक स्थान पर माता सीता ने अपने निर्वासन के कुछ साल यहां बिताए थे। यहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ था। यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सीता धरती में समा गई थी।
10. कनक भवन, अयोध्या : श्रीराम से विवाह के पश्चात माता सीता यहीं पर रही थीं। अब यह भवन एक मंदिर है।
{जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।}
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Rani Sahu
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