धर्म-अध्यात्म

मंदिर में कहां और कैसा होता है गर्भगृह, इससे जुड़े नियम

Tara Tandi
10 Aug 2023 12:46 PM GMT
मंदिर में कहां और कैसा होता है गर्भगृह, इससे जुड़े नियम
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हिंदू धर्म से जुड़ी धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी भी देवालाय के भीतर बने गर्भगृह को अत्यंत ही पवित्र और पूजनीय हिस्सा माना गया है. गर्भगृह के भीतर जहां पर मंदिर के प्रधान देवी-देवता विराजमान होते हैं, वहां पर आम भक्तों के प्रवेश की सख्त मनाही होती है. ऐसे में सवाल उठता है मंदिर के गर्भगृह में बैठे भगवान के पास जाने के लिए उनके भक्तों को क्यों मनाही होती है. मंदिर के भीतर बने इस गर्भगृह का क्या धार्मिक महत्व और नियम होता है? आखिर उसके पास जाने मात्र से ही लोगों को क्यों होती है सुख और शांति की अनुभूति, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.
क्या होता है गर्भगृह
अयोध्या स्थित राम मंदिर के पुजारी महंत सत्येंद्रदास जी के अनुसार किसी भी देवालय के भीतर गर्भगृह एक ऐसा स्थान होता है, जहां पर देवी-देवताओं की मूल मूर्ति को स्थापित किया जाता है. इसी गर्भगृह में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना, भोग आदि से जुड़ी महत्वपूर्ण सामग्री रहती है. इसके बाहर चारों ओर परिक्रमा का स्थान होता है, जबकि इसके ठीक सामने भगवान के भक्तों के दर्शन, पूजन और कीर्तन आदि के लिए स्थान सुनिश्चित होता है. गर्भगृह अमूमन आयकार आकार में होता है, जिसके तीन ओर दीवारें और एक ओर छोटा सा मुख्य द्वार होता है. हालांकि वर्तमान में अब द्वार का आकार कहीं-कहीं बढ़ा हुआ देखने को मिल सकता है.
गर्भगृह से जुड़े जरूरी नियम
सत्येंद्र दास जी के अनुसार गर्भगृह में जाने के लिए सिर्फ और सिर्फ पुजारी ही अधिकृत होता है और वहां पर किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश नहीं होता है. मंदिर के गर्भगृह में अन्य व्यक्तियों के प्रवेश की मनाही के पीछे उसका छोटा स्थान होना, स्वच्छता, पवित्रता आदि प्रमुख कारण होता है. अयोध्या के किसी भी मंदिर में जाने पर आपको इसी परंपरा का पालन होता दिखाई देगी.
भारत के कुछ हिस्सों में स्थित मंदिर के गर्भगृह में भक्तों को आखिर क्यों प्रवेश मिलता है, इसके जवाब में महंत सत्येंद्रदास जी कहते हैं कि प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग व्यवस्था हो सकती है लेकिन इसमें भी यह देखने वाली बात होगी कि आखिर वे उस मंदिर में कितने एरिया को गभगृह मानते हैं.
सनातन परंपरा जुड़े देश के कई मंदिरों में भगवान के भक्तों को उनकी पूजा-अभिषेक आदि करने के लिए कुछ नियमों के साथ इजाजत होती है। जैसे कि उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को बगैर सिले हुए वस्त्र पहनकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने की इजाजत होती है। मंदिर के इस महत्वपूर्ण परिसर में भक्तों को तन और मन से पवित्र होकर प्रवेश करना होता है। हिंदू धर्म में मंदिर के गर्भगृह में किसी भी प्रकार के अमर्यादित आचरण की सख्त मनाही होती है।
गर्भगृह का धार्मिक महत्व
वास्तु के अनुसार किसी भी मंदिर के भीतर गर्भगृह का निर्माण बीचों-बीच किया जाता है क्योंकि इसी स्थान पर सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा होती है. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भी मंदिर के गर्भगृह के बारे में कुछ ऐसी ही बात कही जाती है. मान्यता है कि गर्भगृह में स्थित देवी-देवताओं वताओं के स्थापित होने के कारण वहां पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. जिसके पास जाने मात्र से व्यक्ति की पांचों ज्ञानेंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं. उसे वहां पर असीम ऊर्जा, सुख और शांति महसूस होती है.
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