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धर्म-अध्यात्म
इन 5 लोगों के साथ निकलने पर आप समझे जाएंगे मूर्ख
Apurva Srivastav
29 March 2021 12:56 PM GMT
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आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की बातें समझना हर किसी के वश की बात नहीं और अगर समझ भी लें तो वो अपनी जिंदगी में आत्मसात नहीं करना चाहते
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) की बातें समझना हर किसी के वश की बात नहीं और अगर समझ भी लें तो वो अपनी जिंदगी में आत्मसात नहीं करना चाहते. उन्होंने जीवन को लेकर कई सारी चीजें अपनी किताब में बताई है, जिसका पालन अगर एक व्यक्ति कर ले तो उसका जीवन सार्थक हो जाएगा और उसके जीवन में कभी किसी तरह का कोई भी कष्ट नहीं आएगा. आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र में व्यक्ति के सुखी जीवन से जुड़ी कई सारी नीतियों का उल्लेख किया है, जिसके बारे में अगर आप समझ जाते हैं तो आपके जीवन की परेशानियां काफी हद तक कम हो सकती हैं.
बताया जाता है कि चाणक्य की नीतियों के वजह से ही चंद्रगुप्त मौर्य सम्राट बने थे.आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में एक विशेष बात का उल्लेख किया है जिसमें वो बताते हैं कि एक व्यक्ति को अपने जीवन में कौन सी 5 चीजों के बीच नहीं आना चाहिए, उनसे सदा ही बचके रहना चाहिए. इसके लिए उन्होंने एक श्लोक की रचना की थी, जो इस प्रकार है-
विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:।
अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्।।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब कभी भी दो ज्ञानी आपस में बातचीत कर रहे हों तो किसी भी व्यक्ति को उनके बीच से होकर नहीं निकलना चाहिए. अगर वो ऐसा करते हैं तो उनकी बातचीत में बाधा उत्पन्न होती है. इसी तरह जब कोई पुरोहित या पुजारी अग्नि कुंड के पास बैठा हो तो भी उसके बीच से किसी व्यक्ति को नहीं निकलना चाहिए. ऐसा करने से उनके पूजा-पाठ में विघ्न पड़ता है और हवन-यज्ञ में बाधा उत्पन्न होती है.
जब स्वामी और सेवक दोनों आपस में बातचीत कर रहे हों तो भी उनके बीच से किसी को भी नहीं निकलना चाहिए. ऐसा मुम्किन है कि वो कोई जरूरी बात कर रहे हों और उनकी बातचीत में बाधा हो सकती है. उसी तरह अगर पति-पत्नी आपस में बात कर रहे हों तो उनके बीच से निकलना नहीं चाहिए. ऐसा करने से पति-पत्नी का एकांत भंग होता है.
आगे चाणक्य बताते हैं कि, अगर हल और बैल एक साथ दिखाई पड़ जाते हैं तो भी उनके बीच से नहीं निकलना चाहिए. बीते जमाने में हल और बैल के बीच से निकलना शुभ माना जाता था.
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