- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Ashadh Month 2023: कब...
Ashadh Month 2023: कब से शुरू होंगे आषाढ़ माह? जानिए महत्व और पूजा उपासना विधि
Ashadh Month 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में कुल 12 महीने होते हैं। हिंदू पंचांग में हर एक महीने का विशेष महत्व होता है। हर एक माह में दो पक्ष आते हैं पहले 15 दिन शुक्ल पक्ष और दूसरे 15 दिन कृष्ण पक्ष के होते हैं। जहां अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत जनवरी से होती है तो वहीं हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत चैत्र माह से होती है। हिंदू कैलेंडर के सभी 12 महीने ये होते हैं- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन। सभी महीनों के अपना विशेष महत्व होता है। अब बहुत जल्द ही आषाढ़ का महीना शुरू होने वाला है। आषाढ़ का महीना चौथा महीना होता है। इस महीने भगवान सूर्य की विशेष रूप से पूजा-आराधना करने के साथ मंगलदेव की पूजा करने की परंपरा है। इसके अलावा आषाढ़ का महीना भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा और समर्पण का महीना होता है। आइए जानते हैं हिंदू कैलेंडर यह चौथा महीना कब से शुरू होने वाला है और इस माह का क्या है धार्मिक महत्व।
आषाढ़ से पहले ज्येष्ठ का महीना आता है। हिंदू पंचांग के अनुसार जब ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा आती है और फिर इसकी समाप्ति होती है तब अगली तिथि से आषाढ़ का महीना आरंभ हो जाता है। इस बार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 4 जून को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और इसी के साथ आषाढ़ महीने की भी शुरूआत हो जाएगी। आषाढ़ का महीना 3 जुलाई को खत्म होगा।
आषाढ़ का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस महीने भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की ही पूजा-आराधना की जाती है। आषाढ़ माह में शिवजी और विष्णुजी दोनों की एक साथ पूजा करने से जीवन में व्यक्ति को हर एक क्षेत्र में सफलताएं मिलती हैं और सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा आषाढ़ माह में भगवान सूर्य की पूजा और अर्घ्य देने से धन-संपदा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। आषाढ़ मास में कनेर के फूल,लाल रंग केपुष्प अथवा कमल के फूलों से भगवान की विशेष पूजा करनी चाहिए।जो सुवर्ण के समान रंग वाले कदम के फूलों से सर्वव्यापी गोविन्द की इस माह में पूजा करते है,उन्हें कभी यमराज का भय नहीं होगा। तुलसी,श्यामा तुलसी तथा अशोक के द्वारा सर्वदा पूजित होने पर श्री विष्णु नित्यप्रति कष्ट का निवारण करते हैं।
हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है। चातुर्मास आषाढ़ महीने ही शुरू होता है और पूरे चार महीने का होता है, लेकिन इस बार अधिकमास के चलते चार्तुमास पूरे 5 महीने का होगा। चार्तुमास में किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है।
सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है ।इसमें आने वाले चार महीने जिसमें सावन,भादौ, आश्विन और कार्तिक का महीना आता है। चातुर्मास के चलते एक ही स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है। बर्षा ऋतु और बदलते मौसम से शरीर में रोगों का मुकाबला करने अर्थात रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है।