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धर्म-अध्यात्म
कब रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व
Shiddhant Shriwas
14 Sep 2021 2:24 AM GMT
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हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों को बेहद धूमधाम से मनाते हैं। इन त्योहारों में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों को बेहद धूमधाम से मनाते हैं। इन त्योहारों में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत। जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया या जितिया व्रत के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया व्रत रखा जाता है। जितिया व्रत को संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के लिए माताएं रखती हैं।
कब है जितिया व्रत-
इस साल जितिया व्रत 28-30 सितंबर तक मनाया जाएगा। यह पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है। जितिया व्रत 28 सितंबर को नहाए-खाए के साथ शुरू होगा। 29 सितंबर को निर्जला व्रत रखा जाएगा और 30 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।
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जितिया व्रत शुभ मुहूर्त 2021-
जीवित्पुत्रिका व्रत- 29 सितंबर 2021
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट से।
कठिन व्रतों में से एक माना जाता है जितिया व्रत-
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। सप्तमी तिथि को नहाए खाए, अष्टमी तिथि के दिन जितिया व्रत और नवमी के दिन व्रत का पारण किया जाता है। नहाए खाए वाले दिन व्रती महिलाएं सूर्यास्त के बाद कुछ नहीं खाती हैं।
जितिया व्रत का महत्व-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस व्रत का महत्व महाभारत काल से जुड़ा है। कहते हैं कि उत्तरा के गर्भ में पल रहे पांडव पुत्र की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने अपने सभी कर्में से उसे पुनर्जीवित कर दिया था। तभी से स्त्रियां आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला व्रत रखती हैं। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से भगवान श्रीकृष्ण व्रती महिलाओं के संतान की रक्षा करते हैं।
जीवित्पुत्रिका व्रत पूजन विधि-
स्नान आदि करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं। धूप, दीप आदि से आरती करें और इसके बाद भोग लगाएं। इस व्रत में माताएं सप्तमी को खाना और जल ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं और अष्टमी तिथि को पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। नवमी तिथि को व्रत का समापन किया जाता है।
Shiddhant Shriwas
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