धर्म-अध्यात्म

कब मनाई जाएगी होली, पूर्णिमा वाले दिन देर रात तक रहेगा भद्राकाल, जानिए किस समय किया जाएगा होलिका दहन

Bhumika Sahu
10 March 2022 7:09 AM GMT
कब मनाई जाएगी होली, पूर्णिमा वाले दिन देर रात तक रहेगा भद्राकाल, जानिए किस समय किया जाएगा होलिका दहन
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इस बार पूर्णिमा और प्रतिपदा तिथि को लेकर लोगों के मन में संशय की स्थिति है, वहीं पूर्णिमा वाले दिन भद्राकाल होने से होलिका दहन के शुभ समय को लेकर भी कन्फ्यूजन है. यहां जानिए इसकी सही जानकारी.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फाल्गुन मास (Phalguna Month) की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें रंगों की होली खेली जाती है. हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन (Holika Dahan) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए. लेकिन अगर इस बीच भद्राकाल (Bhadra Kaal) हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए. इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है. शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है. मान्यता है कि इसमें किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं. इस बार भी पूर्णिमा तिथि दो दिन है, साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्राकाल होने के कारण लोगों में होली और होलिका दहन को लेकर संशय की स्थिति है. यहां जानिए किस दिन मनाई जाएगी होली और क्या है होलिका दहन के शुभ समय .

ये है होलिका दहन का शुभ समय
पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. वहीं 17 मार्च को 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. ऐसे में शाम के समय होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा. चूंकि होलिका दहन के लिए रात का समय उपर्युक्त माना गया है, ऐसे में 12:57 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन संभव हो सकेगा. इसके लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी.
जानें होली की सही तिथि
इस बार होली की तिथि को लेकर भी लोगों के मन में संशय की स्थिति है. पूर्णिमा तिथि 17 मार्च से शुरू होकर 18 मार्च को दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. प्रतिपदा तिथि 19 मार्च को दोपहर 12:13 बजे तक रहेगी. रंगों की होली प्रतिपदा तिथि में खेली जाती है. ऐसे में कुछ लोग रंगोत्सव के लिए 18 मार्च को सही तिथि मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग 19 मार्च को, क्योंकि 19 मार्च को उदय काल में प्रतिपदा तिथि होगी. लेकिन इस मामले में ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा का महत्व होता है, इसलिए इसमें उदय काल का महत्व नहीं माना जाता. इसलिए पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को ही मान्य होगी. 17 मार्च की रात को होलिका दहन के बाद 18 मार्च को प्रतिपदा तिथि में रंगों की होली खेली जा सकती है. इसके अलावा कुछ जगहों पर 18 और 19 मार्च को दोनों दिन रंगों की होली खेली जाएगी.


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