धर्म-अध्यात्म

जुलाई में कब-कब एकादशी व्रत पड़ेंगे

Apurva Srivastav
11 July 2023 3:50 PM GMT
जुलाई में कब-कब एकादशी व्रत पड़ेंगे
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं. वहीं महीने में 2 एकादशी व्रत होते हैं. हिंदू पंचांग में 12 महीने होते हैं जो 15 दिन कृष्ण पक्ष और 15 दिन शुक्ल पक्ष में बंटे होते हैं. दोनों पक्षों में एकादशी व्रत पड़ते हैं और ये पक्ष लगने की 11वें दिन पड़ते हैं. इसी तरह से प्रदोष व्रत भी महीने में दो ही पड़ते हैं. प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है जबकि एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. जुलाई 2023 के महीने में एकादशी व्रत किस किस दिन पड़ने वाला है चलिए आपको बताते हैं.
जुलाई 2023 में एकादशी व्रत कब-कब है? (Ekadashi in July 2023)
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन लोग व्रत रखते हुए भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. जुलाई के महीने में पड़ने वाले पहले एकादशी व्रत की तिथि की शुरुआत 12 जुलाई 2023 की शाम 5 बजकर 59 मिनट से होगी जो 13 जुलाई 2023 की शाम 6 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी. इस व्रत का पारण 14 जुलाई 2023 की सुबह 5 बजकर 33 मिनट से लेकर 8 बजकर 18 मिनट तक किया जा सकता है. वहीं दूसरे एकादशी व्रत की तिथि 28 जुलाई 203 की दोपहर 2 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी जो 29 जुलाई 2023 की दोपहर 1 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी. इस व्रत का पारण 30 जुलाई 2023 की सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर 8 बजकर 23 मिनट तक होगा. सावन में पड़ने वाले पहले एकादशी को कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi) कहते हैं वहीं दूसरे एकादशी को पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi) कहते हैं.
कैसे करें एकादशी व्रत की पूजा? (Ekadashi Vrat Puja Vidhi)
व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें. हो सके तो पीले वस्त्र ही धारण करें क्योंकि ये रंग भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या प्रतिमा के सामने अपने व्रत का अनुष्ठान करें. उनकी मूर्ति के सामने दीया जलाएं और भगवान को फूल, वस्त्र और मिठा अर्पित करें. इस बात का विशेषरूप से ध्यान रखें कि भगवान विष्णु को कुछ भी भोल लगाएं लेकिन उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर रखें वरना ऐसी मान्यता है कि वो भोग भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता. वैसे इस बात का भी ध्यान रखें कि तुलसी का पत्ता कभी रविवार और एकादशी तिथि पर ना तोड़ें. इसके बाद एकादशी तिथि पर जो विशेष एकादशी पड़ी है उसकी कथा पढ़ें, आरती करें और प्रसाद वितरण करें.
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