धर्म-अध्यात्म

हनुमान को जब वाल्मीकि ने किया परास्त

Manish Sahu
18 July 2023 10:22 AM GMT
हनुमान को जब वाल्मीकि ने किया परास्त
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धर्म अध्यात्म: कहते हैं भक्त की भक्ति में शक्ति हो तो भगवान् भी नतमस्तक हो जाते हैं। ऐसी ही एक कथा है जिसमें महर्षि वाल्मीकि और हनुमान जी के बीच विवाद हो गया और अंत में हनुमान जी को महर्षि वाल्मीकि की बात माननी पड़ गयी। आइये बताते हैं आपको उस कथा के बारे में। महर्षि वाल्मीकि ने सुनाई कथा घटना उन दिनों की है जब महर्षि वाल्मीकि रामायण लिख रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि वाल्मीकि को श्री राम के बारे मे सब कुछ स्वयं भगवान ने ही बता दिया था। प्रतिदिन सुबह से लेकर शाम तक वाल्मीकि कथा लिखने में व्यस्त रहते और फिर शाम को जंगल में रहने वाले वनवासियों को वो कथा सुनाते थे। कथा इतनी रोचक होती थी की धीरे धीरे कथा वनवासियों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गयी और लोग दूर दूर से उन्हें सुनने के लिए आने लगे। कथा श्रोताओं की भीड़ लग जाती थी। श्रावण मास में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं जीवन के सारे कष्ट हनुमान स्वयं आ गए कथा सुनने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में संध्या के समय कथा वाचन चल रहा था। लोग भाव विभोर होकर कथा का आनंद उठा रहे थे। उस दिन कथा में वाल्मीकि सुना रहे थे कि कैसे अशोक वाटिका में हनुमान जी सीता माता को खोज रहे थे। वाल्मीकि ने जैसे ही कहा की "हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचे तो सफ़ेद फूल दिखा", इतने में एक वनवासी ने तुरंत प्रतिरोध किया। वनवासी ने कहा - क्षमा कीजिये लेकिन फूल सफ़ेद नहीं लाल थे। वाल्मीकि ने कहा - "जी नहीं, हनुमान ने सफ़ेद फूल ही देखे।" इस प्रकार वनवासी और वाल्मीकि के बीच विवाद बढ़ता गया। दोनों अपनी बाद पर अड़े रहे। फिर वाल्मीकि ने पूछा की आपको कैसे पता कि हनुमान को लाल फूल ही दिखे? इस पर वनवासी ने कहा -"क्यूंकि मैं ही हनुमान हूं" और फिर वनवासी ने अपना रूप बदला तो सच में हनुमान जी प्रकट हो गए।, मकर राशि की भी बढ़ेगी मुश्किलें ब्रह्मा को करनी पड़ी मध्यस्थता हनुमान जी के साक्षात् प्रकट होने के बावजूद वाल्मीकि अपनी बात पर अड़े रहे। फिर तय हुआ की अब फैसला ब्रह्मा जी करेंगे। दोनों ब्रह्मा के पास पहुंचे। फिर ब्रह्मा जी ने कहा - "हनुमान, आपने सफ़ेद फूल ही देखा था लेकिन आप उस समय बहुत क्रोधित थे और क्रोध से आपकी आँखे लाल हो गयी थीं इसलिए आपको सफ़ेद फूल लाल रंग का प्रतीत हुआ।" ये सुनकर हनुमान जी ने मुस्कुरा कर वाल्मीकि की और देखा और नतमस्तक होते हुए वाल्मीकि की बात को नम्रता पूर्वक स्वीकार कर लिया। भक्ति में इतनी शक्ति है कि स्वयं भगवन को भी कई बार झुकना पड़ जाता है। नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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